1 विदेश नीति क्या है?
उत्तरः किसी भी देश द्वारा दूसरे देशों से सम्बन्ध स्थापित करने के लिए जो और नियम बनाए जाते हैं उसे विदेश नीति कहते हैं।
2 गुट निरपेक्षता से क्या तात्पर्य है?
उत्तरः आजादी के बाद अपनी विदेश नीति बनाते समय तत्कालीन विश्व दो गुटों में बंटा हुआ था -अमेरिका और सोवियत रूस , नए स्वतंत्र राष्ट उन दिनों इन्ही दोनों गुटों में से एक का चुनाव कर रहे थ। मगर भारत ने अपनी विदेश नीति यानि अन्य देशों के साथ संबंध बनाने में स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से विचार कर निर्णय लिया जो इन दोनों गुटों से अलग था। यह भारत की विदेश नीति की एक बड़ी खूबी है। इसे ही भारत की गुट निरपेक्ष नीति कहा जाता है।
3 गुट निरपेक्षता भारत को अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखने में किस प्रकार सहायक हो सकती है?
उत्तरः द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सोवियत यूनियन और संयुक्त राज्य अमरीका के नेतृत्व में विश्व दो विरोधी गुटों में बँट गया, भारत जानता था कि गुटों में बँटना विश्व शान्ति,के लिए हानिकारक है। इसीलिए भारत ने किसी भी गुट में शामिल न होकर सारे विश्व की समस्याओं के प्रति स्वतन्त्र विचार व्यक्त करते हुए सभी राष्ट्रों के साथ शान्ति, सहयोग और भाईचारे की भावना रखने का निर्णय लिया।फलस्वरूप भारत पर किसी गुट का दबाव न रहा। इस प्रकार की स्वतन्त्र विदेश नीति के आधार पर ही भारत ने सदा ही युद्धों का विरोध किया और विश्व कल्याण को स्थापना हेतु अनेक सिद्धांतों का पोषण किया जो अधिकांश राष्ट्रों के हित में था। इस प्रकार विदेश नीति के क्षेत्र में भारत का सम्मान बढ़ा और गुट-निरपेक्षता के आधार पर ही उसने विश्व की अनेक समस्याओं के हल में सक्रिय सहयोग प्रदान किया
4 भारत को गुट निरपेक्ष नीति की क्यों आवश्यकता पड़ी ?
उत्तरःभारत को गुट निरपेक्ष नीति की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से पड़ी –
1 भारत के लिए किसी भी गुट के प्रभाव में आने का अर्थ था अपनी आजादी पुनः दांव पर लगाना । यही भारत नहीं चाहता था इसीलिए भारत ने अपनी विदेश नीति में इसे अपनाया ।
2 विश्व के दो गुटों से किसी एक चुनाव का अर्थ था विश्व युद्ध की आशंका अतः भारत अलग रहा।
4 नव स्वतंत्र राष्ट्र होने के साथ भारत की आर्थिक स्थिति अति दयनीय थी। यदि वह एक गुट में शामिल होता तो उसे उसी गुट का सहयोग मिल पाता। भारत चाहता था कि दोनों गुटों से सहयोग प्राप्त कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करे।
5 किसी भी गुट में शामिल होना, अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालना था। अतः राष्ट्रीय सुरक्षा की से दृष्टि से गुट निरपेक्षता की नीति लाभदायक रही।
5 पंचशील के पांच सिद्धांतों को उल्लेख कीजिए?
पंचशील के पांच सिद्धांत निम्न लिखित थे
1 राष्ट्र एक दूसरे की अखंडता, संप्रभुता का ख्याल रखेंगें।
2 राष्ट एक दूसरे पर आक्रमण नहीं करेगें।
3 राष्ट एक दूसरे के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगें
4 राष्ट एक दूसरे के हित में काम करेगें । कोई भी राष्ट छोटा या बड़ा नहीं है।
5 शांति और सह-अस्तित्व इसका अर्थ सभी राष्ट एक दूसरे की आजादी को बनाए रखेंगे और एक दूसरे की आजादी के लिए सहयोग करेंगे।
6 आपके विचार से किसी भी देश की विदेश नीति बनाते समय किन किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
उत्तर: मेरी दृष्टि में किसी भी देश द्वारा विदेश नीति के निर्धारण में निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है-
(1) राष्ट्रीय सुरक्षा-किसी भी देश के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू है। अतः इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।
(2) पड़ोसियों से सम्बन्ध- पड़ोसी देशों से मधुर सम्बन्ध राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
(3) बदलते सम्बन्धों का ध्यान-विदेश नीति के निर्धारण में विभिन्न देशों के साथ बदलते हुए सम्बन्धो पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
(4) आर्थिक हितों की सुरक्षा-विदेश नीति पर ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व सहयोग निर्भर करता है। अतः इसका ध्यान रखना चाहिए।
(5) आत्म सम्मान की रक्षा-विदेश नीति बनाते समय देश की एकता अखण्डता और स्वाभिमान की रक्षा अत्यन्त महत्वपूर्ण पहलू है। हमें ऐसी नीति नहीं बनानी चाहिए, जिससे देश के सम्मान को क्षति न पहुंचे।
7 सन 1962 में भारत ने जिस विदेश नीति को जन्म दिया उसका नाम बताइए?
उत्तर: गुट निरपेक्ष नीति