March 29, 2023

पठार का एक गाँव चाल्हा

खाली स्थानों को भरिये

1. चाल्हा गाँव के लोगों का मुख्य भोजन पेज, भात और साग-सब्जी है
2. इस गाँव के लगभग एक तिहाई लोग, पढ़े लिखे हैं।
3 ढोढ़ी कम गहराई का कुआँ है जिसमें पीने का पानी मिलता है।

4 माहुल या मोहलाई की पत्ती का उपयोग पत्तल/दोने बनाने में होता है।
5. चाल्हा में रबी में केवल कुछ साग-सब्जी उगाई जाती है।


इन प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर लिखिए
प्रश्न 1. चाल्हा गाँव कहाँ पर बसा है?

उत्तर-धरमजयगढ़ के उत्तर में 18 किलो मीटर दूर खम्हार गाँव के पश्चिम में चल्हा गाँव बसा है।

प्रश्न 2. नाले के पानी को रोकने के लिए चाल्हा गाँव के लोग क्या करते हैं?

उत्तर- ग्रामवासी आपसी सहयोग से श्रमदान करके प्रतिवर्ष नाले पर बाँध बनाते हैं।

प्रश्न 3. चाल्हा में कौन-कौन सी फसलें बोयी जाती है?
उत्तर- अधिकतर भूमि पर धान की खेती होती है। धान के अलावा खरीफ की फसल में यहाँ राहर (अरहर), झुनमा, उड़द, मक्का, रामतिल आदि की फसलें पैदा की जाती है।

प्रश्न 4. यहाँ कौन-कौन से कारीगर रहते हैं?

उत्तर- गाँव में कई कारीगर रहते हैं- कुछ लोग बॉस से टोकरी,चोरिया, झॉपी, पर्रा, बिजना, डाली आदि बनाकर बेचते हैं तथा कुछ लोहे, लकड़ी के घरेलू उपयोग के सामान भी बनाते है।

प्रश्न 5. यहाँ के लोगों को वनों से क्या-क्या चीजें मिलती है?
उत्तर- यहाँ के लोगों को वनों से साल, साजा, बीजा आदि बहुमुल्य लकड़िया तथा आम, इमली, करंज कटहल, फल-फूल कंद-मूल, पिठारू, कठारू, तेन्दू महुआ, लाख, धूप और कई तरह की जंगली दवाइयाँ मिलती है।

विस्तार से लिखिए-
चाल्हा गाँव की खेती और मैदानी गाँव रिसदा की खेती की तुलना करके बताइए कि उनमें क्या समानताएँ है और क्या असमानताएँ है।

मिट्टी:  चाल्हा गाँव पठारी क्षेत्र में स्थित है। गाँव का ऊपरी घरातल समतल है, गाँव की सीमा पर जमीन काफी ढलवाँ है, गाँव के उत्तर में पहाड़ी है। इन ऊँचे भाग से बह कर आयी मोटी रेत और पत्थर यहाँ के मिट्टी में मिल जाते है इस कारण अधिकांश मिट्टी रेतीली और पथरीली है। मिट्टी में अभ्रक के टुकड़े चमकते दिखाई देते है तथा लाल मिट्टी की गहरी परत मिलती है। गाँव की पहाड़ी के उत्तर की तली में काली मिट्टी एवं दक्षिण की तली में पीली मिट्टियाँ पायी जाती है। इस प्रकार पठारीय मिट्टी में विविधता पायी जाती है।

सिंचाई: चाल्हा गाँव के लोगों के लिए सिंचाई का कोई साधन नहीं है, यहाँ की खेती पूरी तरह वर्षा पर निर्भर है। गाँव के मध्य से एक नाला बहता है वह सिर्फ नहाने या मवेशियों को नहलाने के लिए काम में आता है।

फसल : गाँव की अधिकतर भूमि पर धान की खेती होती है धान के अलावा खरीफ की फसल में यहाँ राहर झुनगा, उड़द, मक्का, रामतिल, आदि भी उगाई जाती परन्तु उत्पादन यहाँ कम होता है। क्योंकि चाल्हा गाँव की मिट्टी रेतीली एवं पथरीली है ।

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