बुभुक्षिता लोमशा भूखी लोमड़ी

पल्लवी – पूजे ! अहम् अद्य एकां लोमशाम् अपश्यम् । पूजा ! मैने आज एक लोमड़ी देखी।
पूजाः पल्लवि ! त्वं तां लोमशां कुत्र अपश्यः ? पल्लवी तुमने लोमड़ी कहाँ देखी?
पल्लवी पूजे ! अहं वने अपश्यम् । पूजा ! मैने लोमड़ी जंगल में देखी
पूजा: पल्लवि ! सा लोमशा अति बुभुक्षिता आसीत् । पल्लवी ! वह लोमड़ी बहुत भूखी थी।
पल्लवी – पूजे ! सा लोमशांक्षुधाशान्त्यर्थं वृक्षस्य उपरि भागे द्राक्षायाः फलानि दृष्ट्वा उत्पतति। पूजा ! वह लोमड़ी भूख मिटाने के लिए पेड़ के ऊपरी भाग में अंगूर के फल को देखकर उछलती है।
पूजा पल्लवि ! परन्तु द्राक्षायाः फलानि अति उपरि आसन् । लेकिन अंगूर के फल बहुत ऊपर थे।
पल्लवी – पूजे ! सा लोमशा पुनः पुनः उत्पतति । परं द्राक्षायाः फलानि न प्राप्नोत् । पूजा! वह बार-बार उछलती है। पर अंगूर के फल प्राप्त नहीं होते ।
पूजाः पल्लवि ! सा लोमशा कथयति अहं द्राक्षायाः फलानि न खादामि द्राक्षायाः फलानि अम्लानि सन्ति
वह लोमड़ी कहती है – मैं अंगूर के फल नहीं खाती हूँ अंगूर के फल खट्टे हैं।

निम्नलिखित संवादों को पढ़िए और रिक्त स्थिानों की पूर्ति कीजिए

मोहनः गीते! त्वं कुत्र गच्छसि? गीता ! तुम कहाँ जाती हो?
गीताः मोहन! अहं हट्टं प्रति गच्छामि।मै बाजार की तरफ जाता हूँ
मोहनः गीते! किमर्थम। गीता! क्यो?
गीताः मोहन! शकं फलं च क्रेतुम। अधुना त्वं कुत्र गच्छसि? मोहन सागसब्जि और फल खरीदने । अभी तुम कहाँ जा रहे हो?
गीते! अधुना अहं गृहं प्रति गच्छामि। अभी मै घर की तरफ जा रहा हूँ

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1 संवादः (वार्तालाप/बातचीत )
परिजनसंवादः
मनोहरम् अद्यानम्
बुभुक्षिता लोमशा भूखी लोमड़ी
2 गावो विश्वस्य मातरः
3 राष्ट्रध्वजः

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