600 ईसा पूर्व से 325 ईसा पूर्व तक
(अ) खाली स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. गणतन्त्र में वास्तविक शासन एक ही वंश के लोगों के हाथ में रहता था ।
2. महाजनपद काल में मगध की राजधानी उज्जैन थी।
3. प्राचीन भारत में 16 महाजनपद थे ।
4. महाजनपद काल में प्रसिद्ध गणराज्य वज्जि, शाक्य और मल्ल थे
(ब) सही/ गलत बताइए
1. राजतन्त्र में राजा का पद वंशानगुत नहीं होता था। (गलत)
2. गणराज्यों में राजा का पद वंशानुगत होता था। (गलत)
3. किसानों को अपनी उपज का एक भाग कर के रूप में देना
पड़ता था। (गलत)
4. सिकन्दर ईरान का राजा था। (गलत)
(स) प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1. महाजनपद कितने वर्ष पहले को कहा गया हैं ?
उत्तर- 600 ईसा पूर्व अर्थात् आज से लगभग 2600 वर्ष पहले के काल को महाजनपद कहा गया है।
प्रश्न 2. घनानन्द से प्रजा क्यों दुःखी थी ?
उत्तर-घनानन्द कर वसूलते समय अपनी प्रजा पर बहुत अत्याचार करता था इसलिए वहाँ की प्रजा दुःखी थी।
प्रश्न 3. महाजनपद कैसे बने ?
उत्तर-दक्षिण बिहार (वर्तमान झारखण्ड) क्षेत्र में मिलने वाले खनिजों (मुख्य रूप से लोहा) से औजार एवं हथियार बनाए जाने लगे। इससे इस क्षेत्र के जनपदों की शक्ति बढ़ी। कुछ शक्तिशाली जनपदों ने दूसरे जनपदों को जीत लिया। इन शक्तिशाली और बड़े जनपदों को महाजनपद कहा गया।
प्रश्न 4. महाजनपदों में नगरों का विकास कैसे हुआ ?
उत्तर- जिन गाँवों में उद्योग-धन्धे; जैसे-शिल्पकारी, कारीगरी, धातु, बढ़ईगीरी एवं व्यापारी अधिक हुए, वे गाँव धीरे-धीरे नगरों का रूप लेने लगे। इनमें प्रसिद्ध नगर हैं-उज्जैन, चम्पा, वैशाली, राजगृह आदि ।
प्रश्न 5. महाजनपदों में करों का क्या महत्व था ?
उत्तर- महाजनपद में करों का महत्व – इस समय सभी लोगों को कर देना पड़ता था । व्यापारियों को भी वस्तु एवं नगद रूप में कर देना पड़ता था। किसानों को अपनी उपज का छठवाँ हिस्सा कर के रूप में देना पड़ता था। शिल्पकारों को अपनी बनाई गई वस्तु के रूप में कर देना पड़ता था ।
प्रश्न 6. राज्यों एवं गणराज्यों की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
राज्यों की शासन व्यवस्था-महाजनपदों में से अंग, काशी, कोसल, मगध आदि में राजतंत्र शासन थी। इस व्यवस्था में शासन राजा द्वारा किया जाता था। इसमें राजा का पद वंशानगुत होता था ।
गणराज्यों की शासन व्यवस्था-वज्जि (वैशाली) शाक्य (कपिलवस्तु) मल्ल आदि महाजनपदों में गणतन्त्र शासन की व्यवस्था थी । गणतन्त्रशासन व्यवस्था में शासक एक ही वंश के पुरुषों की एक सभा के द्वारा किया जाता था। यह सभा अपने सदस्यों में से किसी एक को कुछ समय के लिए राजा भी चुन लेती थी। राजा का यह पद वंशानुगत नहीं होता था।
गणराज्य के अन्तर्गत आने वाले दूसरे वर्गों महिलाएँ, दास, व्यापारी आदि का शासन चलाने में कोई योगदान नहीं लिया जाता था। गणतन्त्र शासन की यह व्यवस्था कुछ छोटे गणतन्त्रों में काफी लम्बे समय तक चलती रही।
प्रश्न 7. मगध को शक्तिशाली बनाने में बिंबिसार का क्या योगदान
था ?
उत्तर – बिंबिसार मगध का पहला प्रमुख राजा था। उसने एक शक्तिशाली सेना बनायी और सेना एवं नीति दोनों से काम लेकर मगध को शक्तिशाली बनाना शुरू किया। उसने सबसे पहले कोसल की राजकुमारी से विवाह किया। इसके बाद वैशाली की राजकुमारी से विवाह कर, वहाँ का समर्थन पाया। उसने दूर के जनपदों से मित्रतापूर्ण सम्बन्ध रखे, लेकिन अपने पड़ोसी जनपद अंग पर चढ़ाई करके उसकी राजधानी चम्पा पर अधिकार कर लिया। इससे वहाँ के बन्दरगाह द्वारा मगध का दक्षिण भारत से व्यापार होने लगा।