(अ) खाली स्थान की पूर्ति कीजिए
1. मोहनजोदड़ो की खुदाई सन 1922 में हुई।
2. हड़प्पा की खुदाई सन 1921 में हुई।
3. लोथल नगर को बंदरगाह नगर भी कहा जाता है।
4. अनाज का गोदाम हड़प्पा की खुदाई में प्राप्त हुआ है।
5. विशाल स्नानागार मोहनजोदड़ो में है।
6. सिन्धुवासी विदेशी व्यापार जल मार्ग से करते थे।
(ब) प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(1) सिन्धु सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या था?
उत्तर- सिन्धु सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि करना व पशुपालन था।
(2) सिन्धुवासी कौन-कौन सी धातुओं से परिचित थे?
उत्तर- सिन्धुवासी ताँबा, पीतल, टिन, राँगा, शीशा एवं काँसा आदि
धातुओं से परिचित थे।
(3) सिन्धुवासी किन-किन वस्तुओं का व्यापार करते थे?
उत्तर- सिन्धुवासी कपास, हमारती लकड़ी, ताँबे के औजार, हाथी-दाँत एवं पत्थर के आभूषणों आदि का व्यापार करते थे ।
(4) सभ्यताओं का नदियों के किनारे विकसित होने के क्या कारण है?
उत्तर – इन लोगों की बसावट ज्यादातर ऐसी जगह होती थी, जहाँ खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी और पर्याप्त पानी मिलता रहे ताकि वे स्थायी रूप से कृषि व पशुपालन कर सके। ऐसी जगह आमतौर पर नदियों के किनारे मिलती है। यही कारण है कि नदी घाटियों में अधिक बसाहट होती थी।
(5) इस सभ्यता को सिन्धु घाटी सभ्यता क्यों कहते हैं?
उत्तर- यह सभ्यता ज्यादातर सिंधु नदी के किनारे विकसित हुई थी । इसीलिए इसे सिन्धु घाटी की सभ्यता कहते हैं । आजकल इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहते हैं।
(6) हड़प्पा और मोहनजोदड़ो क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर – हड़प्पा और मोहनजोदड़ो प्रसिद्ध है। खुदाई से यह पता चला कि ये नगर भी आज के शहरों में बने कालोनियों की तरह सुनियोजित ढंग से बसाए गए थे नगर दो हिस्सों में बसे थे एक 1 हिस्सा ऊपर भाग में था जिसके चारों तरफ परकोटा था। दूसरा हिस्सा थोड़ा नीचे की तरफ था। निचले भाग के नगर में बसाहट अधिक थी। सड़क चौड़े और सीधी थी जो एक-दुसरे को समकोण पर काटती थी। सड़क के दोनों किनारों पर मकान और नालियाँ बनी थी। मकान पक्की ईटों से बने थे तथा एक मंजिला और दो मंजिला दोनों तरह के थे। मकानों में आँगन, शौचालय और स्नानघर बने हुए थे।
(7) लोथल की प्रसिद्धि के क्या कारण है?
उत्तर-लोथल प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण शहर है। लोथल गोदी जो कि विश्व की प्राचीनतम ज्ञात गोदी है। लोथल प्राचीन इतिहास में गुजरात का एक समुद्र तट है वहाँ से उस समय वस्तुओं का आयात-निर्यात किया जाता था। ये नाव का इस्तेमाल भी किया करते थे।
(8) सिन्धु सभ्यता के लोगों के रहन-सहन का वर्णन कीजिए।
उत्तर- सिन्धु सभ्यता के लोग सूती एवं ऊनी वस्त्रों का प्रयोग करते थे। वे आभूषणों का भी प्रयोग किया करते थे। स्त्री और पुरुष दोनों श्रंगार करते थे। स्त्रियाँ हार, बाजूबन्द, कर्ण फूल, पायल आदि आभूषणों का प्रयोग करती थी जो सोने, हाथी दाँत, तॉंबे और बहुमूल्य पत्थरों के बने होते थे। सिन्धुवासी मनोरंजन में नृत्य, पासे का खेल आदि खेलते थे। बच्चे मिट्टी के खिलौनों का उपयोग करते थे। चावल, दाल, रोटी, दूध ऽ और मिठाई पसन्दीदा भोजन था। कुछ लोग मांसाहारी भोजन भी करते थे।
(9) सिन्धु सभ्यता के लोग किन-किन सामाजिक वर्गों में बँटे थे? उत्तर- सिन्धु सभ्यता के लोगों को सामाजिक आधार पर तीन वर्गों में बाँटा जा है-
1. शासक वर्ग-ऐसा एक वर्ग जो शासन चलाते रहे होंगे। सम्भवतः केन्द्रीय शासन व्यवस्था रही होगी, अन्य छोटे-छोटे 3 प्रान्त भी राजा के अधीन रहे होंगे।
2. व्यापारी एवं व्यवसायी वर्ग जो मूलतः विभिन्न व्यापारों व व्यवसायों में लगे होते थे। वे अपेक्षाकृत सवर्ण थे।
3. कृषक एवं मजदूर वर्ग-ये समाज के निम्न वर्ग में आते थे।
इसका कार्य कृषि व पशुपालन था।
(स) संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
1. नगर योजना,
2. भवन निर्माण,
4. अन्नागार,
5. गोदी।
3. विशाल स्नानागार,
उत्तर- 1. नगर योजना– हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से पता चला है कि ये नगर भी आज के शहरों में बनी कालोनियों की तरह सुनियोजित ढंग से बसाए गए थे। नगर दो हिस्सों में बसे थे। एक हिस्सा ऊपरी भाग में था, जिसके चारों तरफ एक परकोटा (ऊँची दीवार) था। दूसरा हिस्सा थोड़ा नीचे की तरफ था। निचले भाग के नगर में 7 बसावट अधिक थी। सड़कें चौड़ी और सीधी थीं, जो एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। सड़कों के दोनों किनारों पर मकान और नालियाँ बनी थी।
2. भवन निर्माण– इस समय के मकान पक्की ईंटों से बने थे, तथा एक मंजिला और दो मंजिला दो तरह के थे। मकानों में आँगन, शौचालय और स्नानागार बने हुए थे। प्रत्येक मकान में पानी के निकास के लिए नालियाँ बनी थीं, जो सड़क के किनारे प्रमुख नालियों में जाकर मिलती थी नालियाँ पक्की और ढकी हुई होती थी इस प्रकार ये मकान क सुनियोजित बनाए गए थे।
3. विशाल स्नानागार-मोहनजोदड़ों की खुदाई से विशाल स्नानागार (तालाब) प्राप्त हुए हैं। इसके चारों ओर कमरे बने हुए हैं। जो लगभग 12 मीटर लम्बा, 7 मीटर चौड़ा और 2.5 मीटर गहरा है। इसके किनारे की कुआँ भी बना हुआ था। गन्दे पानी की निकासी के लिए नाली भी बनी ये हुई हैं। इस स्नानागार का प्रयोग सम्भवतः किसी सार्वजनिक कार्य, धार्मिक कार्य या किसी विशेष कार्यक्रम के समय किया जाता रहा होगा।