हिन्दी अनुवाद के साथ पाठ
शिष्याःनमस्ते गुरुदेव !
(शिष्याः नमस्ते गुरूदेव!)
गुरुः नमः शिष्येभ्यः ! मोहन, किं. त्वं पश्यसि ? अद्य अन्धकारः अस्ति ।
(गुरूः नमस्ते छात्रों! मोहन तुम क्या देखते हो ? आज अंधेरा है। )
मोहनः- गुरुदेव ! किं कारणं अन्धकारस्य ?
(मोहनः गुरूदेव! क्यों अंधकार है?)
गुरुः- सूर्यस्य न दर्शनं एव अन्धकारस्य कारणम् ।
(सूर्य का दर्शन न होना अंधकार का कारण है। )
गुरुः- सूर्यस्य नामानि आदित्यः, रविः, भास्करः, दिनकरः, दिनपतिः, दिवाकरः, प्रभृतीनि सन्ति ।
(सूर्य के नाम आदित्य, रवि, भास्कर,दिनकर,दिनपति दिवाकर इत्यादि हैं। )
छात्राः सूर्यः किं करोति ?
(छात्रः सूर्य क्या करता है)
गुरुःसूर्यः प्रातः काले उदयते सायङ्काले च अस्तं गच्छति ।
(गुरूः सूर्य सुबह उदय होता है शाम को डूब जाता है। )
छात्राः- सूर्य इति शब्दस्य कोऽर्थः ?
( छात्र: सूर्य का क्या अर्थ है?)
गुरुः सूर्यः आकाशे सरति इति कारणात् सूर्यः । अत्र सृ धातौ क्यप् प्रत्ययः । सूर्यस्य अन्याऽपि परिभाषा भवितुं अर्हति । सुवति लोकं कर्मणि प्रेरयति इति सूर्यः अपि ।
(सूर्य आकाश में चलता है इसीलिए यह सूर्य है। यहां सृ धातौ क्यप् प्रत्यय है । सूर्य की और भी व्याख्या है। सुवति यानि जीवन को कर्म की ओर ले जाता है, यही सूर्य है। )
छात्राःसूर्यः किं किं करोति ?
(छात्रः सूर्य क्या-क्या करता है?)
गुरुः प्रकाशं ददाति, अन्धकारं दूरीकरोति, रोगकीटाणुसमूहं नाशयति, सर्वंजीवं जीवयति, बुद्धिं वर्धयति, –
ज्ञानं ददाति, बलं वर्धयति, शक्तिं सञ्चारयति, अतः अस्य दैवीकरणं कृतम् । सूर्यस्य रश्मिषु सप्त रङ्गाः परिलक्ष्यन्ते ।
(गुरू: सूर्य प्रकाश देता है। अंधकार दूर करता है, रोगों तथा कीटाणुओं का नाश करता है, सभी जीवनों को जीवित रखता है, बुद्धि बढ़ाता है, ज्ञान देता है, बल की वृद्धि करता है, शक्ति का संचार करता है इसलिए इसका दैवीयकरण किया गया है। सूर्य की किरणों में सात रंग दिखाई देते हैं। )
छात्राःपुराणे सूर्यः रामस्य कुलदेवः अस्ति ?
(छात्रः पुराणों में सूर्य रम कुल के देवता हैं। )
गुरुः सत्यं वदसि, रामः आज्ञाकारी अस्ति । सः आज्ञां पालयितुं वेदं पठति ।
मारीचं मारयति, रावणं हन्ति इति ।
(गुरूः सत्य कहते हो। राम आज्ञाकारी हैं । वह आज्ञा का पालन करने के लिए वेद पढ़ते हैं। मारीच को मारते हैं, रावनण का वध करते हैं। )
छात्राः गुरु देव ! रामस्य स्वरूपं वर्णय ।
(छात्रः गुरूदेव! राम के स्वरूप का वर्णन कीजिए। )
गुरुः मस्तके मुकुटं धारयति । सः ललाटे चन्दनं धारयति । स्कन्धे यज्ञोपवीतं, शरासनं च धारयति । पृष्ठे
बाण-सहितं तूणीरं धारयति इति ।
(गुरूः मस्तक में मुकुट पहनते हैं। माथे पर चंदन लगते हैं। कंनधे पर उपनयन (जनेऊ) और धनुष धारण करते हैं। पीठ पर बाण सहित तरकश धारण करते हैं। )
प्रश्न 1 निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ?
अ. पाठ में आये क्रियापदों को लिखकर संस्कृत में स्वतंत्र वाक्य बनाइए ।
पश्यसि -अद्य त्वं किं पश्यसि?
करोती – गौः अस्माकं मातृवत् रक्षां करोति।
धरयति– त्वं स्वच्छानि वस्त्राणि धारयति।
ददाति– सूर्य प्रकाशं दादाति।
नाशयति– ज्ञानः अज्ञानम् नाशयति।
वदसि– गुरूवे सदा सत्यं वदसि।
ब. पाठ के संज्ञा पदों को लिखकर विभक्ति के अनुसार वर्गीकरण कीजिए ।
प्रथमा विभक्ति– गुरू मोहनः शिष्याः छात्राः आदित्यः,
रविः, भास्करः, दिनकरः, दिनपतिः, दिवाकरः, कुलदेवः, रामः सूर्यः
द्वितीय विभक्ति – रावणं, प्रकाशं, अंधकारं, ज्ञानम् बलं शक्ति, मुकुटं
चुतुर्थी विभक्ति– शिष्येभ्यः
षष्ठी विभक्ति-सूर्यस्य, रामस्य
सप्तमी विभक्ति– पुराणे, मस्तके, ललाटे, स्कन्धे, पृष्ठे
सम्बोधन– हे गुरूदेवः
स. सूर्य के पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए ।
रवि, भास्कर,दिनकर,दिनपति दिवाकर
द. सूर्य को अपनी मातृभाषा में क्या-क्या कहते हैं लिखिए ।
उत्तरः सूर्य को मातृभाषा में सूरज, रवि आदि कहते हैं।
ई. क्रियापदों को अपनी मातृभाषा में लिखिए ।
उत्तरः उदयति -उगता है
पश्यसि-देखते हो
सरति -चलता है।
वर्धयति-बढ़ाता है।
हन्ति- वध करता है।
वर्णय – वर्णन करो
मोहरयति – मारता है
संचारयति- संचार करता है।
फ. क्रियापदों से धातु एवं प्रत्यय अलग कीजिये ।
पश्यति- पश्य + ति
उदयति- उदय +ति
वर्धयति- वर्ध +ति
पालयितुं- पाल् +तुमुन
कृतम- कृ + क्त
सरति-सृ + ति
प्रश्न 2 रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए ।
अ. सूर्यः — प्रकाशं– ददाति ।
ब. सः वेदं पठति ।
स. रामः– रावणं हन्ति ।
द. मस्तके धारयति ।
प्रश्न 3- संस्कृत में अनुवाद कीजिए ।
अ. गोपाल पुस्तक देता है।
गोपालः पुस्तकं ददाति
ब. सूर्य प्रकाश देता है ।
सूर्य प्रकाशं ददाति
स. राम वेद पढ़ता है।
रामः वेदं पठति।
द. सीता घर जाती है।
सीता गृहम् गच्छति।
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2 परिजनसंवादः
3 मनोहरम् अद्यानम्
4 बुभुक्षिता लोमशा भूखी लोमड़ी
5 गावो विश्वस्य मातरः
6राष्ट्रध्वजः