जीवन में आया बदलाव changes in life

अभ्यास के प्रश्न

1. उचित संबंध जोड़िए

A B
1. ब्रम्हदेय ब्राम्हणों को गाँव दान में देना
2 पंचकुल प्रमुख कृषक परिवार के मुखिया
3. शिव भक्त नयनार
4. विष्णु भक्त अलवार

सही या गलत बताइए-

1. भोरमदेव का मंदिर राजनांदगाँव जिले में है। गलत
2 दक्षिण भारत के व्यापारी समूह बनाकर व्यापार करते थे। सही
3 बसवण्णा और अक्कमहादेवी एक कुशल राजनीतिज्ञ थे। गलत
4. भक्त संतों ने कर्मकांडों और देवी-देवताओं पर विश्वास किया। गलत
5 गंडई पंडरिया का मंदिर चोल शासकों द्वारा बनवाया गया था गलत

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1. पल्ली किसे कहते थे ?
उत्तरः प्राचीन काल में लोग छोटी-छोटी बस्तियां बनाकर रहते थे जिन्हें पल्ली कहा जाता था।

2.चंदेल राजाओं द्वारा किस मंदिर का निर्माण किया गया था ?
उत्तरः खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेल राजाओं द्वारा किया गया

3 छत्तीसगढ़ में सती प्रथा के अवशेष कहाँ पर दिखाई देते हैं ?
उत्तरः उत्तर-छत्तीसगढ़ के रतनपुर में महामाया मंदिर के समीप बड़ी संख्या में सती चौरे मिलते हैं । इससे इस क्षेत्र में सती प्रथा प्रचलित होने की जानकारी मिलती है ।

4.सन् 650 ई. के बाद राज्यों की स्थिति में प्रमुख रूप से क्या बदलाव आए ?
उत्तरः सन् 650 ई. के बाद बड़े साम्राज्यों के स्थान पर छोटे-छोटे राज्यों का विकास हुआ । इस काल में समाज, अर्थव्यवस्था और धर्म में भी परिवर्तन दिखाई देते हैं।

5. उर किसे कहते थे ?
उत्तर:दक्षिण भारत में गाँव के प्रमुख लोग ही सारा काम चलाते थे, इनकी सभाएँ होती हैं , जिन्हें उर कहा जाता था । उर ही लगान इकट्ठा करना , लोगों को दण्डित करना , झगड़े निपटाना , तालाब व मंदिरों की देख – रेख करना आदि करते थे ।

6 दक्षिण भारत की उन्नति में मंदिरों की क्या भूमिका थी ?

उत्तरः राजाओं और सामंतों द्वारा अपने वंश की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए विशाल अलंकृत मंदिरों का निर्माण करवाया जाता था । इन मंदिरों में बड़े – बड़े गाँव के राजस्व प्राप्त होते थे । धीरे – धीरे इन मंदिरों की संपत्ति बढ़ती गई । मंदिरों की व्यवस्था करने वाली समितियों ने यह धन व्यापार , व्यवसाय और उद्योगों में लगाया । इतना ही नहीं मंदिरों द्वारा बड़े पैमाने पर ब्याज पर ऋण भी दिया जाने लगा।


7 भक्त संतों के कारण स्थानीय भाषा का विकास किस प्रकार हुआ ?

उत्तरः भक्त संतों का उद्देश्य समाज के लोगों को जाग्रत करना था । वे अपने गीत आम लोगों की बोली में रचे। जिससे कि आम जनता उनके संदेशों को सरलता व सहजता से समझ सके व ग्रहण कर सके । इनके प्रभाव से कई स्थानीय भाषाओं और लोक साहित्य का विकास हुआ । इस काल में दक्षिण में तमिल , तेलगू व कन्नड़ तथा उत्तर में गुजराती व हिन्दी के प्रारंभिक स्वरूप में रची गई रचनाएँ काफी संख्या में हमें मिलती हैं ।

8 650 ई. से 1200 ई. में आर्थिक क्षेत्र में क्या-क्या परिवर्तन हुए ?

उत्तरः इस समय सबसे बड़ा परिवर्तन आर्थिक क्षेत्र में हुआ । यह था लगान वसूली के तरीके का बदलना । गुप्तकाल में लगान पर राजा का अधिकार होता था लेकिन अब स्थिति बदल गई । इस समय तक राजाओं द्वारा ब्राम्हणों व विद्वानों को भूमि दान में देने की परंपरा व्यापक हो चुकी थी । भू – क्षेत्रों से प्राप्त आय के बड़े भाग पर उसके स्वामी का अधिकार होता था । और एक छोटा हिस्सा ही राजा को मिल पाता था । भू – पति इतने सम्पन्न हो गए थे कि वे स्वतंत्र शासकों की तरह व्यवहार करने लगे । वे अपनी सेना रखने लगे थे । पहले लगान राजा के नाम से वसूल किये जाते थे अब लगान सामंतों और भू – स्वामियों के नाम वसूल किया जाने लगा । इसी कारण अब राजा और किसानों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं रह गया था ।

इसके विपरीत दक्षिण भारत में गाँवों में उर (गाँव के प्रमुख लोगों की सभा) नाडू बनाकर लगान इकट्ठा करना लोगों को दंडित करना, झगड़े निपटाना, तालाब व मंदिरों की देख-रेख करना आदि करते थे।

योग्यता विस्तार
आप अपनी कक्षा के कुछ साथियों के साथ आस-पास के प्राचीन मंदिरों को देखने जाएँ वहाँ के पुजारी एवं आसपास के लोगों से निम्नलिखित जानकारियाँ एकत्र करें

इसे भी पढ़िए दंतेश्वरी मंदिर दंतेवाड़ा

1. मंदिरों के नाम एवं चित्र – दंतेष्वरी मंदिर दंतेवाड़ा
2. निर्माणकर्ता का नाम एवं अवधि। 1890 में महाराज रूद्रप्रताप देव ने बनवाया
3. मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं के नाम । दंतेष्वरी देवी
4. मंदिर से संबंधित कोई कहानी या किंवदंतियाँ। 52 वें शक्तिपीठ के तौर पर इसकी पहचान मानी जाती है। सती के दांत यहां गिरने के कारण इसका नाम दंतेवाड़ा पड़ा।

EXTRA QUESTIONS AND ANSWER:

प्रश्न 1. मध्यकाल की महिलाओं की स्थिति का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ?
उत्तर – मध्यकाल में महिलाओं पर तरह – तरह की पाबंदियाँ लगने लगी थीं । अपनी मर्जी से पढ़ना , शादी करना , यात्रा करना , व्यवसाय करना , लोगों से मिलना – जुलना , ये सब अच्छा नहीं समझा जाता था । छोटी उम्र में शादी ( बाल – विवाह ) , पति के मरने पर उसे भी उसकी चिता में जिंदा जलाना ( सती प्रथा ) , पति के मरने पर दूसरे से शादी ( विधवा पुनर्विवाह ) करने पर रोक आदि बातें फैल रही थी । इस कारण महिलाओं को समाज में अपनी पहचान बनाने के मौके नहीं मिले । ये बातें उच्च व निम्न दोनों जाति के लोगों में व्याप्त थी ।
छत्तीसगढ़ के रतनपुर में महामाया मंदिर के समीप बड़ी संख्या में सती चौरे मिलते हैं इनसे इस क्षेत्र में सती प्रथा के प्रचलित होने की जानाकरी मिलती है ।
हर साल यहां माघ-पूर्णिमा को मेला लगाता है इसे आठाबीसा का मेला कहते हैं । वर्तमान में बाल-विवाह और सती-प्रथा कानूनन अपराध है।
प्रश्न 2. इस युग में व्यापारिक क्षेत्र में क्या बदलाव आया ?
उत्तर- इस युग में व्यापारिक क्षेत्र में अत्यधिक परिवर्तन आया । अब भारतीय व्यापारी देश में ही नहीं बल्कि विदेशों से भी व्यापारिक संबंध स्थापित कर चुके थे । भारत के समुद्रीय तटों से खासकर गुजरात , कोंकण , केरल व तमिलनाडु के बंदरगाहों से दूर – दूर तक समुद्री व्यापार होता था । दक्षिण भारत के व्यापारी नानादेसी , मणिग्रामम् नाम के श्रेणी या समूह बनाकर आपसी हितों की रक्षा करते थे । वे चीन , दक्षिण पूर्व एशिया , अरब देश , ईरान व अफ्रीका जाकर व्यापार करते थे । उसी तरह अरब , मध्य एशिया , चीन आदि देशों के व्यापारी भारत आते थे । विदेशी व्यापारी भारत के तटीय प्रदेशों में बसने लगे थे । केरल व तमिलनाडु में चीनी , ईसाई व यहूदी आकर बसे , गुजरात व केरल में अरब व्यापारी । ये भारत से मसाले , कपड़े , चावल आदि खरीदकर अपने देशों को भेजा करते थे ।
प्रश्न 3. भक्ति आंदोलन क्या था ? उसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- मध्यकाल में भारतीय आध्यात्म में एक नयी लहर आयी , जिसे हम भक्ति आंदोलन के नाम से जानते हैं । सबसे पहले दक्षिण भारत में यह आंदोलन तमिलनाडु में शुरू हुआ था । वहाँ शिव व विष्णु के कई संत भक्त हुए , जिन्हें क्रमश रू नायनार व आलवार कहा जाता था । वे कर्मकाण्डों व कई देवी – देवताओं की उपासना की जगह शिव या विष्णु के प्रति प्रेम भक्ति को बढ़ावा देते थे और तमिल भाषा में भक्ति पद लिखकर गायन करते थे । भक्ति आंदोलन के प्रभाव से जगह – जगह मंदिर बने । राजाओं ने अपने प्रभाव और वैभव दर्शाने के लिए उन मंदिरों को और भव्य बनाया गया । कई भक्त मंदिरों के इस बदलते स्वरूप से खुश नहीं थे । वे आडम्बर के विरोधी थे । ऐसे भक्तों में लिंगापत अक्कमहादेवी के नाम प्रमुख हैं । बंगाल व बिहार के नानापंथी संतों ने भी जात – पाँत का विरोध किया व लोकभाषा में भक्ति पद लिखकर अपने विचार का प्रचार किया ।
प्रश्न 4 पंचकुल या महत्तर कौन थे?
उत्तर: गाँव के प्रमुख कृषक परिवार के मुखिया मिलकर गाँव के लोगों की समस्याओं को सुलझाने एवं सामूहिक कार्य आदि करवाते थे। इन्हें कहीं-कहीं पंचकुल , महत्तर आदि भी कहा जाता था।
प्रश्न 5. इस युग के शिल्पकला ( मंदिरों ) का संक्षिप्त परिचय दीजिए ?
उत्तर- इस युग में विशाल मंदिर बनाने की परंपरा थी । इसमें गर्भ गृह शिखर तथा कई छोटे – छोटे मंडप होते थे । मंदिरों में प्रवेश करने पर सबसे पहले मुख्य मंडप आता है , जिसके बाद अर्द्ध मंडप , महा मंडप आदि होते हैं । ये मंडप वास्तव में बड़े कमरे होते हैं जिसमें खड़े होकर भक्तगण देवता के दर्शन करते है । यह मंदिरों का सबसे आकर्षक हिस्सा होता था । ये मुख्य रूप से दो प्रकार से बनाया जाता था । दक्षिण व उत्तर भारतीय । उड़ीसा का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर ( कोणार्क ) चंदेल राजाओं द्वारा बनवाया गया खजुराहों के मंदिर , राजराज चोल द्वारा बनवाए गये राजराजेश्वर मंदिर आदि इस काल के मंदिर निर्माण कला के बेजोड़ नमूने हैं ।

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