समाज और महिलाओं की भूमिका

समाज और महिलाओं की भूमिका
1 नीचे एि गए कुछ कथनों पर विचार कीजिए और बताइए कि ये सत्य हैं या असत्य? अपने उत्तर के समर्थन में एक उदाहरण दीजिए।

(क) सभी समुदाय या समाजों में लड़कों तथा लड़कियों की भूमिकाओं के बारे में एक जैसे विचार नहीं पाए जाते ।
उत्तरः असत्य
समर्थन में उत्तरः
लड़कियों को धीरे बोलना चाहिए या लड़कों को सख्त होना चाहिए। ये सभी बच्चों को यह बताने के तरीके हैं कि जब वे बड़े होकर पुरुष और महिला बनते हैं तो उनकी विशिष्ट भूमिकाएँ होती हैं

(ख) हमारा समाज बढ़ते हुए लड़के तथा लड़कियों में कोई भेद नहीं करता ।
उत्तरः गलत
समर्थन में कथनः
लड़कों के साथ खेलने के लिए अलग-अलग खिलौने दिया जाता है और लड़कियों के लिए आमतौर पर खेलने के लिए कार दी जाती है और लड़कियों को गुड़िया दी जाती है।

(ग) वे महिलाएँ जो घर पर रहती है कोई काम नहीं करती।
उत्तरः गलतः
समर्थन में कथनः
दुनिया भर में, घर के काम और देखभाल करने वाले कार्यों की मुख्य जिम्मेदारी, जैसे परिवार की देखभाल, विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और बीमार सदस्यों की जिम्मेदारी महिलाओं के पास होती है, फिर भी, जैसा कि हमने देखा है कि महिलाएं घर के भीतर जो काम करती हैं, कार्य के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है।

(घ) महिलाओं के काम पुरुषों के काम की तुलना में कम मूल्यवान समझे जाते हैं।
उत्तरः सही
समर्थन में कथनः
यह आमतौर पर देखा गया है कि महिलाओं द्वारा पारिवारिक कार्य को कम महत्व दिया जाता है । यह पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता की एक बड़ी व्यवस्था का हिस्सा है।

2. ऐसे विशेष खिलौनों की सूची बनाइए जिनसे लड़के खेलते हैं और ऐसे विशेष खिलौनों की भी सूची बनाइए जिनसे केवल लड़कियाँ खेलती हैं। यदि दोनों सूचियों में कुछ अन्तर है तो सोचिए और बताइए कि ऐसा क्यों है? सोचिए कि क्या इसका कुछ संबंध इस बात से है कि आगे चलकर वयस्क के रूप में बच्चों को क्या भूमिका निभानी होगी ?
उत्तरः लड़कों और लड़कियों को खेलने के लिए अलग-अलग खिलौने और खेल दिए जाते हैं। लड़कों को आमतौर पर खेलने के लिए कार और लड़कियों को गुड़िया दी जाती है। दोनों सूचियों में अंतर है। यह अंतर इसलिए पैदा होता है क्योंकि समाज लड़के और लड़कियों के बीच स्पष्ट भेद करते हैं।
हाँ, इसका उन भूमिकाओं से संबंध है जो बच्चों को वयस्कों के रूप में निभानी होती हैं। खिलौने बच्चों को यह बताने का एक तरीका बन जाते हैं कि जब वे वयस्क हो जाते हैं तो उनका भविष्य अलग होता है।

3. आपके क्षेत्र में रहने वाली किसी महिला से बातचीत कर उनसे यह जानने की कोशिश कीजिए कि उनके घर में और कौन-कौन रहते हैं? वे क्या करते हैं? वे रोज कितने घंटे काम करती हैं और कितना कमा लेती हैं? इन विवरणों के आधार पर एक छोटी सी कहानी लिखिए।
गतिविधि

1. शिक्षक / शिक्षिका की सहायता से निम्नलिखित क्षेत्रों से संबंधित भारतीय महिलाओं की
सूची बनाइए –

(क) प्रसिद्ध वैज्ञानिक : ए.एस. किरण कुमार: ए.एस. किरण कुमार एक भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने 2015 से 2018 तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह छत्तीसगढ़ के एक गांव बेलमपल्ली से हैं।

रघुनाथ अनंत माशेलकर: रघुनाथ अनंत माशेलकर एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और केमिकल इंजीनियर हैं, जिन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका जन्म छत्तीसगढ़ के माशेल गांव में हुआ था।

शांति स्वरूप भटनागर : शांति स्वरूप भटनागर एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्होंने रसायन विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के पहले महानिदेशक थे। हालाँकि उनका जन्म पंजाब में हुआ था, लेकिन उनकी पैतृक जड़ें छत्तीसगढ़ में देखी जा सकती हैं।

(ख) प्रसिद्ध समाज सेवी
हिमांशु कुमार: हिमांशु कुमार एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो छत्तीसगढ़ के बस्तर के आदिवासी क्षेत्रों में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने आदिवासी समुदायों के अधिकारों और कल्याण के लिए काम करने वाले संगठन वनवासी चेतना आश्रम की स्थापना की। हिमांशु कुमार आदिवासियों के अधिकारों की वकालत करने और विस्थापन, मानवाधिकारों के उल्लंघन और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन जैसे मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।

शंकर गुहा नियोगी: शंकर गुहा नियोगी एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और ट्रेड यूनियन नेता थे, जिन्होंने छत्तीसगढ़ में औद्योगिक मजदूरों के अधिकारों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने 1977 में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (सीएमएम) की स्थापना की, जो श्रमिकों और किसानों के कल्याण के लिए लड़ा। नियोगी ने क्षेत्र में श्रमिक आंदोलनों को संगठित करने और श्रमिकों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मेधा पाटकर: यद्यपि मेधा पाटकर का जन्म मुंबई में हुआ था, वे छत्तीसगढ़ में सामाजिक कार्यों और सक्रियता में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं, विशेष रूप से बड़े पैमाने पर विकास परियोजनाओं के कारण प्रभावित समुदायों के विस्थापन और पुनर्वास के मुद्दों के संबंध में। उन्होंने नर्मदा नदी पर बांधों के निर्माण से प्रभावित लोगों के अधिकारों की वकालत करने वाले आंदोलन नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) की सह-स्थापना की, जिसने छत्तीसगढ़ में कई क्षेत्रों को प्रभावित किया है।

स्वामी अग्निवेश: स्वामी अग्निवेश, वेपा श्याम राव के रूप में पैदा हुए, एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और आध्यात्मिक नेता थे, जिन्होंने हाशिए के समुदायों के उत्थान और सामाजिक अन्याय के उन्मूलन के लिए अथक प्रयास किया। जबकि उनका जन्म छत्तीसगढ़ में नहीं हुआ था, उन्होंने राज्य में सक्रिय रूप से काम किया और बंधुआ मजदूरी, मानव तस्करी और क्षेत्र को प्रभावित करने वाले अन्य सामाजिक मुद्दों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
(ग) प्रसिद्ध नृत्यांगना
पंडित रामलाल शर्मा: पंडित रामलाल शर्मा छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक नर्तक थे। उन्होंने क्षेत्र के पारंपरिक लोक नृत्य रूपों, विशेष रूप से “पंथी” और “राउत नाच” में विशेषज्ञता हासिल की। पंडित रामलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ की लोक नृत्य परंपराओं को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। लोक नृत्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार मिले।

गणगौर लाल शर्मा: गणगौर लाल शर्मा छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध लोक नर्तक और गुरु थे। उन्होंने “पंथी” नृत्य सहित क्षेत्र के लोक नृत्य रूपों को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गणगौर लाल शर्मा ने कई नर्तकियों को प्रशिक्षित किया और अपने नृत्य प्रदर्शन और शिक्षाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

धनंजय मिश्रा: धनंजय मिश्रा छत्तीसगढ़ के जाने-माने डांसर और कोरियोग्राफर हैं। उन्होंने “कर्मा” नृत्य, “सुआ नाच,” और “पंथी” सहित क्षेत्र के विभिन्न लोक नृत्य रूपों पर बड़े पैमाने पर काम किया है। धनंजय मिश्रा ने अपने मनमोहक नृत्य प्रदर्शन के माध्यम से छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को प्रदर्शित करते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुति दी है।

शैलेश बहोरन: शैलेश बहोरन, हालांकि मूल रूप से छत्तीसगढ़ के नहीं हैं, उन्होंने “पंथी” के लोक नृत्य को बढ़ावा देने में अपने काम के लिए मान्यता प्राप्त की है। वह एक प्रतिभाशाली समकालीन नर्तक और कोरियोग्राफर हैं, जिन्होंने अपने प्रदर्शन में छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य के तत्वों को शामिल किया है। शैलेश बहोरन को पारंपरिक और समकालीन नृत्य शैलियों के अपने अभिनव और आकर्षक संयोजन के लिए प्रशंसा मिली है।

(घ) प्रसिद्ध गायिका
राजा और राधा रेड्डी: जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, राजा और राधा रेड्डी प्रसिद्ध कुचिपुड़ी नर्तक हैं जो आंध्र प्रदेश में पैदा हुए थे लेकिन छत्तीसगढ़ में बस गए थे। उन्होंने शास्त्रीय भारतीय नृत्य के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रशंसा प्राप्त की है।

शांभवी दांडेकर: शांभवी दांडेकर छत्तीसगढ़ की रहने वाली एक प्रतिभाशाली कथक नृत्यांगना हैं। वह अपने मोहक प्रदर्शनों के लिए जानी जाती हैं और उन्हें अपने कुशल फुटवर्क और अभिव्यंजक अभिनय के लिए पहचान मिली है।
रानी कर्णा: रानी कर्णा छत्तीसगढ़ की एक प्रमुख ओडिसी नृत्यांगना हैं। उसने अपना जीवन कला के रूप में समर्पित कर दिया है और ओडिसी के जटिल आंदोलनों, मूर्तिकला की मुद्राओं और कहानी कहने के तत्वों की अपनी महारत के लिए प्रशंसा प्राप्त की है।
मोहिनी नायडू: मोहिनी नायडू छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना हैं। उन्होंने पारंपरिक दक्षिण भारतीय नृत्य रूप में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण लिया है और भारत और विदेशों में प्रदर्शन किया है, दर्शकों को अपनी कृपा और सटीकता से मंत्रमुग्ध कर दिया है।
पद्म श्री दर्शन झावेरी : मूल रूप से छत्तीसगढ़ से नहीं होने के बावजूद, पद्म श्री दर्शन झावेरी ने इस क्षेत्र में नृत्य परिदृश्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह एक कुशल कथक नर्तकी हैं और अपने प्रदर्शन और शिक्षाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ में कला को बढ़ावा देने में सहायक रही हैं।
(ड.) प्रसिद्ध खिलाड़ी
दीपक कर्मा: दीपक कर्मा छत्तीसगढ़ के एक प्रतिभाशाली तीरंदाज हैं। उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और अपने असाधारण कौशल के लिए पदक जीते हैं।

अजय कुमार बंसल: अजय कुमार बंसल छत्तीसगढ़ के जाने-माने पावरलिफ्टर हैं। उन्होंने खेल में अपनी ताकत और कौशल का प्रदर्शन करते हुए, राष्ट्रीय स्तर पर पॉवरलिफ्टिंग स्पर्धाओं में कई पदक और पुरस्कार जीते हैं।

सुशील कुमार सोलंकी: सुशील कुमार सोलंकी छत्तीसगढ़ के एक प्रमुख पहलवान हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती प्रतियोगिताओं में भाग लिया है और खेल के प्रति अपनी प्रतिभा और समर्पण का प्रदर्शन किया है।

बलराम नाइक: बलराम नाइक छत्तीसगढ़ के एक पैरा-एथलीट हैं जिन्होंने व्हीलचेयर टेनिस के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पैरा-टेनिस टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए उन्हें पहचाना गया है।

अजय मंडावी: अजय मंडावी छत्तीसगढ़ के एक प्रतिभाशाली कबड्डी खिलाड़ी हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी प्रतियोगिताओं में विभिन्न टीमों का प्रतिनिधित्व किया है और खेल में अपने कौशल, चपलता और रणनीतिक खेल का प्रदर्शन किया है।
भारत में पदस्थापित रहीं निम्नलिखित महिलाओं के नाम शिक्षक / शिक्षिका की सहायता से लिखिए
(क) मुख्यमंत्री
निश्चित रूप से! यहां भारत में महिला मुख्यमंत्रियों के नाम उनके संबंधित राज्यों और उनके कार्यकाल के साथ हैं:

सुचेता कृपलानी (उत्तर प्रदेश): सुचेता कृपलानी किसी भारतीय राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।

नंदिनी सतपथी (ओडिशा): नंदिनी सत्पथी ने 1972 से 1976 तक ओडिशा की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, वह राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।

शशिकला काकोडकर (गोवा): शशिकला काकोडकर ने 1973 से 1979 तक गोवा की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, वह राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।

श्रीमती राजिंदर कौर भट्टल (पंजाब): श्रीमती राजिंदर कौर भट्टल ने 1996 से 1997 तक पंजाब की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वह पंजाब की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं।

मायावती (उत्तर प्रदेश): मायावती ने कई बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उनका पहला कार्यकाल 1995 से 1997 तक था, उसके बाद 2002 से 2003, 2007 से 2012 और 2017 से 2018 तक का कार्यकाल था।

राबड़ी देवी (बिहार): राबड़ी देवी ने 1997 से 2005 तक बिहार की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने अपने पति लालू प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री के रूप में उत्तराधिकारी बनाया।

शीला दीक्षित (दिल्ली): शीला दीक्षित ने 1998 से 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, जिससे वह दिल्ली की सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहीं। वह लगातार तीन बार इस पद पर रहीं।

वसुंधरा राजे (राजस्थान): वसुंधरा राजे ने 2003 से 2008 और 2013 से 2018 तक राजस्थान की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।

जयललिता (तमिलनाडु): जयललिता ने कई बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उनका कार्यकाल 1991 से 1996, 2001 से 2006, 2011 से 2014 और 2015 से 2016 तक था। वह भारतीय राजनीति में सबसे प्रमुख महिला नेताओं में से एक हैं।

ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल): ममता बनर्जी 2011 से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। वह कई बार इस पद के लिए फिर से चुनी गई हैं ।

(ख) राज्यपाल
सरोजिनी नायडू (संयुक्त प्रांत): सरोजिनी नायडू भारत की पहली महिला राज्यपाल थीं। उन्होंने 1947 से 1949 तक संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश) के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

पद्मजा नायडू (पश्चिम बंगाल): पद्मजा नायडू ने 1956 से 1967 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। वह सरोजिनी नायडू की बेटी थीं।

विजया लक्ष्मी पंडित (महाराष्ट्र और गुजरात): जवाहरलाल नेहरू की बहन विजया लक्ष्मी पंडित ने 1962 से 1964 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल और 1964 से 1967 तक गुजरात के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

शारदा मुखर्जी (गुजरात): शारदा मुखर्जी ने 1971 से 1976 तक गुजरात के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

ज्योति वेंकटचलम (केरल): ज्योति वेंकटचलम ने 1987 से 1990 तक केरल के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

राजेंद्र कुमारी बाजपेयी (मध्य प्रदेश): राजेंद्र कुमारी बाजपेयी ने 1994 से 1996 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

रजनी राय (हिमाचल प्रदेश): रजनी राय ने 1997 से 1999 तक हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

वी.एस. रमादेवी (कर्नाटक): वी.एस. रमादेवी ने 1999 से 2002 तक कर्नाटक के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

शीला कौल (हिमाचल प्रदेश): शीला कौल ने 2002 से 2003 तक हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

प्रतिभा पाटिल (राजस्थान):
प्रतिभा पाटिल ने 2004 से 2007 तक राजस्थान की राज्यपाल के रूप में कार्य किया। वह बाद में भारत की राष्ट्रपति बनीं।

मार्गरेट अल्वा (उत्तराखंड, राजस्थान और गोवा): मार्गरेट अल्वा ने 2009 से 2012 तक उत्तराखंड की राज्यपाल, 2012 से 2014 तक राजस्थान की राज्यपाल और 2014 से 2015 तक गोवा की राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

द्रौपदी मुर्मू (झारखंड): द्रौपदी मुर्मू 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रहीं ,वह बाद में भारत की राष्ट्रपति बनीं।
(ग) प्रधानमंत्री
इंदिरा गांधी: पहला कार्यकाल: 24 जनवरी, 1966 से 24 मार्च, 1977 तक
दूसरा कार्यकाल: 14 जनवरी, 1980 से 31 अक्टूबर, 1984 तक
(घ) राष्ट्रपति
प्रतिभा पाटिल (राष्ट्रपति)25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012 तक
द्रौपदी मुर्मू (राष्ट्रपति):25 जुलाई, 2022.अब तक

(ङ) सर्वाेच्च न्यायालय की न्यायाधीश
अब तक किसी भी महिला ने इस पद को शुशोभित नहीं किया है ।
(च)लोकसभा अध्यक्ष
मीरा कुमार (2009-2014): भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्य मीरा कुमार ने 2009 से 2014 तक लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह भारत के इतिहास में इस पद को धारण करने वाली पहली महिला थीं।
सुमित्रा महाजन (2014-2019): भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्य सुमित्रा महाजन ने 2014 से 2019 तक लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने मीरा कुमार की जगह ली और इस पद को संभालने वाली दूसरी महिला बनीं।
3. अपने क्षेत्र में प्रमुख पद पर कार्यरत महिलाओं की सूची बनाइए ।
छात्र अपने क्षेत्रानुसार करें
4. सरकार द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से एकत्र कीजिए।
उत्तरः सरकार द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी इस प्रकार :
बेटी बचाओ बेटी पढाओ (बीबीबीपी): 2015 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य बाल लिंग अनुपात में गिरावट को दूर करना और लड़कियों की शिक्षा और कल्याण को बढ़ावा देना है। यह लिंग-पक्षपाती यौन-चयनात्मक प्रथाओं को रोकने और बालिकाओं के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने पर केंद्रित है।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY): गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए यह मातृत्व लाभ योजना 2017 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य महिलाओं को मजदूरी के नुकसान की भरपाई करना और गर्भावस्था और स्तनपान की अवधि के दौरान मां और बच्चे के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार करना है।

महिला ई-हाट: 2016 में शुरू किया गया, महिला ई-हाट एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो महिला उद्यमियों को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने और बेचने के लिए एक बाजार स्थान प्रदान करता है। यह महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में सक्षम बनाता है और उनके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देता है।

स्वाधार गृह योजना: यह योजना घरेलू हिंसा, तस्करी, या बेसहारा जैसी कठिन परिस्थितियों में महिलाओं को सहायता और आश्रय प्रदान करती है। यह अस्थायी आवास, पुनर्वास सेवाएं, परामर्श और कौशल विकास के अवसर प्रदान करता है।

उज्जवला योजना: 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी (तरलीकृत पेट्रोलियम गैस) कनेक्शन प्रदान करना है। यह पारंपरिक खाना पकाने के तरीकों के कारण होने वाले इनडोर वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करता है और अशुद्ध खाना पकाने के ईंधन पर महिलाओं की निर्भरता को समाप्त करके उन्हें सशक्त बनाता है।

सुकन्या समृद्धि योजना: 2015 में पेश की गई, यह योजना माता-पिता को अपनी बच्ची के नाम पर बचत खाता खोलने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह आकर्षक ब्याज दर और कर लाभ प्रदान करता है और इसका उद्देश्य बालिकाओं की शिक्षा और शादी के खर्चों के लिए दीर्घकालिक बचत को बढ़ावा देना है।

वन स्टॉप सेंटर योजना (सखी): यह योजना घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और उत्पीड़न सहित हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एकीकृत समर्थन और सहायता प्रदान करती है। वन स्टॉप सेंटर संकट में महिलाओं को चिकित्सा सहायता, कानूनी सहायता, परामर्श और अस्थायी आश्रय प्रदान करते हैं।

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