विरोध और विद्रोह का समय ,Revolt and Rebel

1. सही/गलत बताएँ-

1. औरंगजेब के उत्तराधिकारी शक्तिशाली शासक थे। (गलत)
2. बीजापुर और गोलकुंडा राज्य में मराठा सरदारों को ऊँचे पद मिले हुए थे। (सही)
3. शाहजहाँ के बीमार होते ही उनके पुत्रों में आपस में युद्ध होने लगा। (सही)
4.औरंगजेब के शासनकाल में मुगल साम्राज्य का अधिक विस्तार नहीं हुआ। (गलत)
5. मथुरा के पास बुंदेलों का विद्रोह हुआ। (गलत)
2. प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
1 औरंगजेब की दो बड़ी समस्याओं को अपने शब्दों में समझाइए ।

उत्तरः औरंगजेब को दो बड़ी समस्याएँ थीं पहला किसानों व जमीदारों का विद्रोह दूसरा जागीरदारों की कमी। औरंगजेब के काल में किसानों की हालत काफी बिगड़ने लगी थी । साम्राज्य का आर्थिक भार किसानों पर पड़ रहा था । सेना का खर्च, लालकिला
और ताजमहल से जैसी इमारतों के निर्माण का खर्च भी काफी बढ़ गया था। परिणाम यह हुआ कि ज्यादा लगान होने के कारण किसान गाँव
छोड़कर चले जाते या मिलकर विद्रोह करते थे । औरंगजेब के समय कई विद्रोह हुए । जिसमें किसान सक्रिय थे । जैसे- मथुरा के पास जाटों का
विद्रोह , अलवर के मेवाती लोागों का विद्रोह , पंजाब के सतनामी पंथी व सिक्खों का विद्रोह , बुंदेलखण्ड के बुन्देलों का विद्रोह, आफगानिस्तान
के रौशनियायों का विद्रोह आदि । इनमें आमतौर पर स्थानीय जमींदारों ने किसानों का साथ दिया जिससे मुगल साम्राज्य की जड़े हिलने लगीं।

( 2 ) जागीरों की कमी

मुगल शासन में अधिकारियों की संख्या बढ़ती जा रही थी । लेकिन सभी अमीरों के लिए जागीरें नही थीं । जागीरों की कमी के कारण जागीरदारों में असंतोष और अनुशासनहीनता बढ़ने लगी । जागीरदारों के सामने आए संकट का भी दबाव था । जागीरदारों का तबादला और जागीरदारी छीने जाने का भय भी असंतोष का प्रमुख कारण था

2 औरंगजेब ने जागीर की समस्या को दूर करने के लिए कौन-कौन से उपाय किए ?
उत्तरः

औरंगजेब के सामने जागीर की कमी से निपटने खेती को बढ़ावा देने और राज्य विस्तार दो रास्ते थे । पहले विकल्प पर जागीरदार रुचि नहीं थीं क्योंकि जागीरदारों का तबादला होता रहता था। । तब औरंगजेब के अमीर मीर जुमला ने अहोम राज्य पर आक्रमण किया और उसे अपने राज्य में मिला लिया । मीर जमुला के मरने के बाद असम ( अहोम ) मुगलों के हाथों से निकल गया । इसी प्रकार मुगल साम्राज्य के दक्षिण में दो महत्वपूर्ण राज्य बीजापुर और गोलकुटा थे । औरंगजेब ने सन् 1687 तक इन दोनों राज्यों को पराजित कर अपने राज्य में मिला लिया । औरंगजेब जीत तो गया था लेकिन उसे जल्दी ही पता चल गया कि बीजापुर तथा गोलकुंडा को जीतने से उसकी कठिनाइयाँ बढ़ गयी । यह औरंगजेब के जीवन का आखिरी और सबसे कठिन समय था । इस प्रकार इस विजय से कोई खास फायदा नहीं हुआ और पुराने अधिकारियों के लिए जागीरों की कमी बनी रही ।
3 मराठों की सेना मुगलों की सेना को किस प्रकार हरा पाती थी ?
उत्तरः

मुगलों की सेना से लड़ने का उनका ( मराठों का ) तरीका अनोखा था । वे मुगलों से सीधा युद्ध न करके उन पर अचानक तेजी से युद्ध करते थे और नुकसान पहुँचाकर वापस पहाड़ी किलों में छिप जाते थे । इस युद्ध को छापामार युद्ध कहते हैं । युद्ध के इस तरीके से वे बड़ी से बड़ी सेना को भी हरा सकते थे ।
4. मुगल साम्राज्य के पतन के लिए आप औरंगजेब को कहाँ तक उत्तरदायी मानते हैं ?
उत्तरः उत्तर – मुगल साम्राज्य के पतन के लिए औरंगजेब निश्चित रूप से उत्तरदायी था ,
( 4 ) औरंगजेब की धार्मिक नीति – वह कट्टर धार्मिक मुसलमान था । हिन्दुओं पर उसे विश्वास नहीं था । उसने जजिया कर हिन्दुओं पर पुनः लगा दिया । उसने संगीत,चित्रकला, दूसरे धर्मों के त्यौहारों को मनाना बद करवा दिया । उसने कई प्रसिद्ध मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था। जिससे हिन्दु नाराज हो गए।
( 5 ) विद्रोह – औरंगजेब की नीतियों से असंतुष्ट होकर सिक्खों , जाटों , राजपूतों , सतनामियों ने मुगल साम्राज्य के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था। किसानों व जमींदारों ने भी औरंगजेब के विरूद्ध कई विद्रोह किए।
( 6 ) औरंगजेब की दक्षिण भारत नीति – दक्षिण भारत के राज्यों में ज्यादा ध्यान देने से उत्तर भारत में उसकी पकड़ ढीली पड़ गयी।
(7 ) निर्बल उत्तराधिकारी -औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी अयोग्य , निर्बल एवं निकम्मे थे । इससे मुगल सामान्य नष्ट हो गया ।
( 8 ) विलासी बादशाह – विलासी , अयोग्य , अदूरदर बादशाहों के फिजूलखर्ची से राजकोष खाली हो गया और साम्राज्य नष्ट हो गया।
( 9 ) आर्थिक संकट – शाहजहाँ के शान – शौकत तथा भवन के निर्माण कार्यों में पैसा पानी की तरह बहा तथा अनेक युद्धों धन – जन की हानि हुई ।
( 10 ) औरंगजेब का संदेह- जनक स्वभाव – वह अपने बेटों पर भी विश्वास नहीं करता था । उन्हें उसने सैनिक शिक्षा भी नहीं दी जिससे वे अयोग्य रह गए ।
5 औरंगजेब ने हिंदुओं के विरूद्ध एवं पक्ष में जो कदम उठाए. इन दोनों बातों के दो-दो उदाहरण दीजिए।

उत्तरः उत्तर – औरंगजेब द्वारा हिन्दुओं के विरुद्ध उठाए गए कदमदृ
( 1 ) हिन्दुओं पर जजिया कर फिर से लागू किया ।
( 2 ) हिन्दुओं के प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया ।
पक्ष में उठाए गए कदम
( 1 ) औरंगजेब ने कई हिन्दू मंदिरों व मठों को दान भी दिया था । उज्जैन के महाकाल मंदिर और चित्रकूट के राममंदिरों में ऐसे दान के आदेश आज भी देखे जा सकते है ।
( 2 ) उसके दरबार के सर्वाेच्च पदों पर जयसिंह और जसवंत सिंह जैसे हिन्दू थे । उसके राज्य में हिन्दू अमीरों की संख्या बढ़कर 182 थी जबकि शाहजहाँ के समय हिन्दू अमीर 98 ही थे।

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