अभ्यास प्रश्न
1. हां या नहीं में उत्तर दीजिए –
1. हिन्दी केसरी के सम्पादक बालगंगाधर तिलक थे। नहीं
2. राष्ट्रीय एकता की भावना को राष्ट्रवाद कहते हैं। हाँ
3. औद्योगिक क्रांति के कारण अधिकांश मिलें खुलीं। हाँ
4. भारत के पिछड़ेपन के लिए अँग्रेजों की आर्थिक नीति जिम्मेदार है। हाँ
5. शिक्षित मध्यम वर्ग ने आधुनिक विचारों को अस्वीकार किया हाँ
2. खाली स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. गाँधी जी 1915 में भारत लौटे।
2. चम्पारण बिहार अंचल में है।
3कंडेल नहर कर के विरोध में था।
4. लगान बंदी के लिए गुजरात के खेड़ा जिले में आंदोलन हुआ ।
5. जलियांवाला बाग की दीवारों पर गोलियों के निशान आज भी हैं।
3. जोड़ी बनाइए
A | B |
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1916 | सर्वदलीय बैठक का आयोजन |
1911 | दिल्ली राजधानी बनी |
1907 | सूरत अधिवेशन |
1906 | मुस्लिम लीग की स्थापना |
1905 | बंगाल का विभाजन |
4. इन प्रश्नों के उत्तर में केवल नाम लिखिए
1. बंगाल विभाजन किया –
उत्तरः लार्ड कर्जन
2. नरम विचारधारा के प्रमुख नेता
उत्तरः सुरेन्द्र नाथ बनर्जी , गोपाल कृष्ण गोखले , फिरोज चाह मेहता , महात्मा गाँधी , पं . नेहरू आदि ।
3. छत्तीसगढ़ में खादी आश्रम बनाया
उत्तरः पं. सुंदरलाल शर्मा
4. कवि समाज संगठन कहाँ बना-
उत्तरः छत्तीसगढ़
5. गदर पार्टी के संस्थापक थे-
उत्तरः लाला हरदयाल
5. नीचे कुछ घटनाएँ लिखी गई है, आप उससे संबंधित तिथि सन् आदि उसके सामने अंकित कीजिए।
क. अंग्रेजों भारत छोड़ो की हुंकार सुनाई पड़ी।
उत्तरः 8 अगस्त , सन् 1942
ख. अंततः पाकिस्तान को एक अलग राष्ट्र के रूप में स्वीकार कर लिया।
उत्तरः 14 अगस्त , सन् 1947
ग. अँग्रेजों को किसी भी प्रकार से सहयोग नहीं करना चाहिए, यह संकल्प लिया।
उत्तरः 1 अगस्त , सन् 1920
घ. एक ऐसी हिंसक घटना हुई जिसके कारण गांधी जी को आंदोलन स्थगित करना पड़ा।
उत्तरः चौरा चौरी काण्ड , 5 फरवरी , सन् 1922 ।
ड. समुद्र तट पर पहुँचकर गांधी जी ने नमक कानून भंग किया।
उत्तरः 6 अप्रेल 1930
6. प्रश्नों के उत्तर दीजिए
1. इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति किस सदी में हुई
उत्तरः इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति 18 वीं सदी में हुई ।
2. 28 दिसम्बर 1885 को किस पाठशाला में सभा हुई ?
उत्तरः 28 दिसम्बर , सन् 1885 को गोकुल दास तेजपाल संस्कृत पाठशाला में सभा हुई ।
3. छत्तीसगढ़ में कॉंग्रेस की शाखा कब बनी ?
उत्तरः सन् 1903 में
4. भारतीय राजनैतिक सभा प्रारंभ में कहाँ हुई थी ?
उत्तरः भारतीय राजनैतिक सभाएँ प्रारंभ में कलकत्ता , बम्बई और मद्रास जैसे प्रांतीय नगरों में शुरू हुई थी ।
5. राष्ट्रीय नेता प्रारंभ में किस विचारधारा के थे ?
उत्तरः राष्ट्रीय नेता प्रारंभ में नरम विचारधारा के थे बाद में दो दलों में बंट गए जिन्हें नरम दल और गरम दल कहा जाता है।
6. 1900 में छत्तीसगढ़ में प्रकाशित समाचार पत्र का क्या नाम था ?
उत्तरः 1900 में छत्तीसगढ़ में प्रकाशित समाचार पत्र का नाम छत्तीसगढ़ मित्र था ।
7. बंगाल प्रांत का विभाजन क्यों किया गया ?
उत्तरः बंगाल विभाजन के कारण के रूप में लार्ड कर्जन का कहना था कि प्रशासनिक सुधार के उद्देश्य से किया जा रहा है । उनका मानना था कि बंगाल जैसे विशाल राज्य का प्रबंध एक केन्द्र द्वारा नहीं किया जा सकता है । इसलिए बंगाल का विभाजन कर प्रशासन की कार्यकुशलता को बढ़ाना आवश्यक था , परन्तु कर्जन का वास्तविक उद्देश्य बंगाल को तोड़ना, उसे कमजोर करना और राष्ट्रीयता के वेग को रोकना था । उसका वास्तविक उद्देश्य जनता में फूट डालना , पूर्वी बंगाल के राज्यों में मुसलमानों का बहुमत रखना और पश्चिमी बंगाल में हिन्दुओं का बहुमत रखना तथा हिन्दू – मुसलमान की एकता को समाप्त कर राष्ट्रीय आन्दोलन को निर्बल बनाना था ।
8. राष्ट्रीय विद्यालय / महाविद्यालय क्यों खोले गए ?
उत्तरः भारत में राष्ट्रीय विद्यालय और महाविद्यालयों की स्थापना का उद्देश्य ज्ञान के आलोक से भारतीय समाज में सामाजिक , धार्मिक व राजनीतिक विचारों में परिवर्तन लाना था । शिक्षा के अभाव में लोगों को अपने हित की चिंता नहीं थी । आजादी का महत्व नहीं पता था । शिक्षा के द्वारा ही देश में राष्ट्रीयता की भावना जाग्रत की जा सकती थी । स्कूलों के माध्यम से राष्ट्रीय विचारों का प्रसार किया जा सकता है । विद्यालय और महाविद्यालय में जन – जागरण हेतु सभा – सम्मेलन भी किया जा सकता था । यह याद रखने योग्य बात है कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना एक विद्यालय के प्रांगण में ही हुआ था।
9. फूट डालो की नीति का क्या अर्थ है ?
उत्तरः लार्ड कर्जन ने भारत में जाग रही राष्ट्रीयता की भावना को खत्म करने के लिए इस नीति को अपनाया था । कर्जन ने इसकी शुरुआत सन् 1905 में बंगाल से किया । प्रशासनिक सुधार के नाम पर उसने हिन्दू और मुसलमान को आपस में बाँटने का प्रयास किया जो असफल रहा । वह चाहता था सभी जाति – धर्म के लोगों को व्यक्तिगत लालच देकर एक – दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया जाय , जिससे वे एक दूसरे का सहयोग न करें । इस प्रकार भारतीय समाज व राष्ट्र को बाँटने वाली इसी नीति को फूट डालो की नीति के नाम से जाना जाता है ।
10. स्वदेशी का क्या अर्थ है ?
उत्तरः देष में बनी वस्तुओं को ही स्वदेशी कहा जाता है। अंग्रेजों ने विदेशी वस्तुओं का बाजार खड़ा कर भारतीयों को खूब लूटा , उनके हाथों से रोजगार छीन लिया । भारतीय कारीगर व शिल्पकारों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई तो भारतीय नेताओं ने अपने ही देश में निर्मित वस्तुओं के प्रयोग की अपील की । इस प्रकार स्पष्ट है स्वदेशी का अर्थ अपने देश के निर्माण से है ।
7. सक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ?
क. खेड़ा सत्याग्रह:
यह सत्याग्रह गुजरात राज्य के खेड़ा नामक जिले में हुआ था । खेड़ा जिले में भयंकर अकाल पड़ा था । इसी समय जिले में प्लेग भी फैल गया । इस दोहरे मार ने किसानों की आर्थिक स्थिति अत्यन्त कमजोर कर दिया । लेकिन अंग्रेजी सरकार ने बलपूर्वक कर वसूल करना आरंभ कर दिया । इससे मजदूर व किसान वर्ग में असंतोष फैल गया और वे लामबंद होकर आन्दोलन शुरू कर दिए । गाँधी जी ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया । परिणामस्वरूप सरकार को झुकना पड़ा और किसानों का लगान माफ कर दिया गया ।
ख. कंडेल सत्याग्रह:
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले कण्डेल नामक स्थान पर यह आन्दोलन हुआ था । इस आन्दोलन का मुख्य कारण नहर पानी का अनुबंध और कर वसूली था । महानदी में रूद्री और माडम सिल्ली में बाँध बनाया गया तथा नहरें भी निकाली गई , जिससे अंचल की सिंचाई की जाती थी । बदले में किसान कर जमा करते थे। लेकिन अचानक सरकार ने दस वर्षीय योजना किसानों पर थोप दी । उनसे इतनी राशि माँगी गई कि वे इससे अपने गाँव में ही तालाब खोदवाकर सिंचाई कर सकते थे । इस योजना का किसानों ने विरोध किया । सरकार ने बिना सूचना नहरों से पानी छोड़कर हर्जाना वसूलने का दबाव और पानी चोरी का झूठा आरोप लगाया । फलतः किसानों ने सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया क्षेत्रीय नेताओं की अगुवाई में आन्दोलन प्रारंभ हुआ और अगस्त सन् 1920 को यह जिला व्यापी हो गया । अंग्रेजों ने किसानों की जमीन और मवेशियों को कुर्क कर लिया । इससे आन्दोलन और तेज हो गया । 20 दिसम्बर , सन् 1920 को गांधी जी भी इस आन्दोलन को नेतृत्व प्रदान करने आए । उनका भाषण धमतरी के प्रसिद्ध मकई चौक में हुआ । इस सभा में लाखों बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए । फलतः अंग्रेजी सरकार को झुकना पड़ा । सरकार ने अपनी गलती मानी और कुर्क को रद्द कर दिया । यह आन्दोलन पाँच माह तक चला ।
घ. खिलाफत आंदोलन:
तुर्कीस्तान के सुल्तान विश्व के सभी मुसलमानों के धर्मगुरु थे । प्रथम विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों ने तुर्की की नयी सरकार पर समझौते के अंतर्गत कठोर शर्ते लाद दीं । इसके अनुसार खलीफा ( धर्मगुरु ) का पद समाप्त कर दिया गया । इसे पुनः स्थापित करने के लिए भारतीय मुसलमानों ने आन्दोलन किया , यही खिलाफत आन्दोलन कहलाता है । गाँधी जी का विश्वास था कि खिलाफत के प्रश्न पर राष्ट्रीय स्तर पर आन्दोलन किया जाये तो हिन्दू – मुसलमान एकता तो सुदृढ़ होगी ही वहीं राष्ट्रीय आन्दोलन और सशक्त बनेगा । अतः गाँधी जी ने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया ।
ग अहमदाबाद मिल: सूती वस्त्र उद्योगों की नगरी अहमदाबाद में यह सत्याग्रह आन्दोलन चलाया गया था । लगातार बढ़ती महँगाई ने मिल मजदूर को घुट – घुटकर जीने को विवश कर दिया था और ऊपर से मिल मालिक न ही मजदूरों का वेतन बढ़ा रहे थे और न ही उन्हें उनका बोनस दिया जा रहा था । मजदूरों ने गाँधी जी को अपनी समस्याएँ बताईं और गाँधी जी के नेतृत्व में जोरदार आन्दोलन आरंभ हुआ । मजदूरों ने गाँधी जी का पूरा समर्थन किया और अन्य स्थानीय संगठनों ने भी इस आन्दोलन का समर्थन किया । परिणामस्वरूप मिल मालिकों को मजदूरों की माँगें माननी पड़ी
ड. मोपला किसान आंदोलनः
केरल भागों में मोपला किसानों ने आन्दोलन किया । मोपला कैदियों को रेल वैगनों में ठूंसकर एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया गया और दम घुटने से 67 मोपला किसानों की मृत्यु हो गई अंग्रेजों ने 45 हजार मोपला किसानों को बंदी बनाया ।
च. चौरा-चौरी कांड:
5 फरवरी , सन् 1922 को उत्तर प्रदेश के चौरा – चौरी नामक स्थान पर यह घटना घटित हुई थी । गाँधी जी द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आन्दोलन के समर्थन में यहाँ के लोगों ने भी एक शांति पूर्ण रैली का आयोजन किया । र सभी प्रदर्शन करते हुए थाने की ओर से जा रहे थे तो अंग्रेज सिपाहियों ने उनका रास्ता रोका । प्रदर्शनकारियों और सिपाहियों के बीच विवाद बढ़ गया । पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज कर दिया । इससे भड़के प्रदर्शनकारियों ने भी पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया । पुलिस के सिपाही जान बचाकर भागे और अपने को थाने में बंद कर लिया । उत्तेजित प्रदर्शनकारियों ने थाने के । सभी दरवाजे बाहर से बंद कर दिये और थाने पर आग लगा दी । इस अग्निकाण्ड में अन्दर फँसे सारे सिपाही जलकर मर गए । गाँधी जी को इसकी सूचना मिली तो उन्हें बहुत दुख हुआ । वे अपने आन्दोलनों में हिंसा नहीं चाहते थे , इसलिए 12 फरवरी को उन्होंने असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया ।
छ. प्रतिज्ञा दिवस:
दिसम्बर , 1929 के अंतिम सप्ताह में कांग्रेस का अधिवेशन लाहौर में हुआ । इस अधिवेशन में पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने विशाल जन समूह की उपस्थिति में श् राष्ट्र ध्वज श् फहराया और पूर्ण स्वराज्य की प्राप्ति तक आन्दोलन जारी रखने का प्रस्ताव पारित किया । सम्पूर्ण भारत वर्ष में 26 जनवरी , सन् 1930 को प्रतिज्ञा दिवस मनाने का संकल्प लिया गया । प्रतिज्ञा दिवस के आयोजन ने देश की जनता में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए नये उत्साह का संचार किया । देश के गाँव – गाँव में इस दिन प्रतिज्ञा दिवस का आयोजन किया गया । इस अधिवेशन की खास विशेषता यह भी रही कि आजादी की लड़ाई की जिम्मेदारी महात्मा गाँधी को दी गई । पूरे देश का समर्थन महात्मा गाँधी को प्राप्त था ।
झ. रायपुर षडयंत्र केस:–
छत्तीसगढ़ की माटी ने भी ऐसे क्रांतिवीरों को जन्म दिया जो अपना सर्वस्व माँ भारती ( भारत ) की आजादी के लिए अर्पित करने को तत्पर थे । छत्तीसगढ़ के क्रांतिकारियों ने भी असेम्बली बम काण्ड करने की योजना बनाई । उस समय रायपुर क्रांतिकारियों का गढ़ था । परशुराम सोनी , सुधीर मुखर्जी , मंगल मिस्त्री , सूरबंधु आदि ने अपने साथियों के साथ मिलकर बम , रिवाल्वर चलाना व बनाना सीख लिया और बनाए गए बम को असेम्बली में फेंकने की पूरी योजना बना ली । लेकिन इन क्रांतिकारियों को पकड़ लिया गया , क्योंकि उनमें से किसी ने पुलिस को मुखबिरी की । पकड़े गए सभी क्रांतिकारियों पर रायपुर के अदालत में देशद्रोह और षड्यंत्र करने का मुकदमा चलाया गया । इस अभियोजन में 15 अभियुक्त और 71 गवाह थे । पुलिस ने दबावपूर्वक गवाहों से क्रांतिकारियों के विरोध में गवाही दिलवाया । परिणामस्वरूप सभी को कठोर कारावास की सजा सुनाई गई । यह घटना रायपुर षड्यंत्र केस श् के नाम से जाना जाता है
ञ. धारा 144ः सामाजिक शांति व सुशासन बनाने के लिए यह धारा लागू किया जाता है ।धारा -144 लगने पर सभा , सम्मेलन या समूह में एकत्रित होने पर प्रतिबंध रहता है ।पुलिस की अनुमति के बिना अत्यावश्यक परिस्थिति में घर से बाहर नहीं निकला जा सकता है
ट, 1947 का अधिनियम:
इस अधिनियम को भारतीय स्वाधीनता अधिनियम कहा जाता है । इस अधिनियम के पारित होने से भारत अंग्रेजों के बंधन से हमेशा के लिए मुक्त हो गये । इस अधिनियम से भारत – पाकिस्तान और भारत नामक दो राज्यों में बँट गया ।
ज. जंगल सत्याग्रहः
गाँधीजी द्वारा संचालित सविनय अवज्ञा आन्दोलन में छत्तीसगढ़ के जंगल सत्याग्रह का विशेष स्थान है । यह आन्दोलन पूरे छत्तीसगढ़ का व्यापक और दीर्घकालीन आन्दोलन था । इस आन्दोलन में उल्लेखनीय बात यह रही कि इसमें शहरी नागरिकों की अपेक्षा ग्रामीणों और आदिवासियों ने विशेष उत्साह और साहस का प्रदर्शन किया । इस आन्दोलन का मुख्य कारण अंग्रेजों द्वारा आदिवासियों पर लगाए गए प्रतिबंध थे । आदिवासी जंगलों पर अपना पुस्तैनी अधिकार मानते थे और अंग्रेजों ने उनका सारा अधिकार छीन लिया था । इसी बात से असंतुष्ट होकर आदिवासियों ने जंगल सत्याग्रह चलाया था । दुर्ग जिले का मोहबना जंगल सत्याग्रह शांतिपूर्ण एवं सफल रहा । पौडी गाँव का सत्याग्रह जनसमुदाय को भी प्रभावित किया । रूद्री नवागाँव में सत्याग्रह इतना उग्र था कि पूरा धमतरी तहसील उसके प्रभाव में आ गया । महासमुन्द के तमोरा गाँव में एक महिला ( दयावती ) के नेतृत्व में धारा 144 तोड़कर जंगल कानून भंग किया गया । पकरिया जंगल सत्याग्रह में दो हजार ग्रामीणों ने अपने 4000 पशुओं के साथ जंगल कानून तोड़े । इस प्रकार स्पष्ट है कि जंगल सत्याग्रह का छत्तीसगढ़ के इतिहास में भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में विशेष महत्व है ।
ठ. 1919 का अधिनियमः
इस अधिनियम को रोलेट एक्ट के नाम से जाना जाता है । इस कानून को काला कानून भी कहा जाता है ।इसका उद्देश्य राष्ट्रीय आन्दोलन को दबाना था ।
इन घटनाओं का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए-
(1) महात्मा गांधी का भारतीय राजनीति में प्रवेश ।
उत्तरः महात्मा गाँधी का भारतीय राजनीति में प्रवेश- गाँधी जी का भारतीय राजनीति में प्रवेश को , भारतीय इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना कही जा सकती है । सन् 1920 से गाँधी जी ने राष्ट्रीय आन्दोलनों का नेतृत्व करना प्रारंभ किया । उनकी नेतृत्व शैली व आन्दोलनों की नई पद्धति ने राष्ट्रीय आन्दोलन को अधिक व्यापक बनाया । इससे स्वाधीनता संघर्ष में एक नये अध्याय की शुरुआत हुई । भारतीय राजनीति में उनका पदार्पण प्रथम महायुद्ध के समय हुआ । उन्होंने अपने व्यावहारिक अनुभवों से प्राप्त अहिंसा और सत्याग्रह को देश की आजादी का ब्रह्मास्त्र बना दिया । दुर्बल शरीर वाले इस दृढ़ निश्चयी को भारतीय जनता का इतना समर्थन और सहयोग प्राप्त हुआ कि गोरी सरकार को अंततः भारत छोड़कर जाना पड़ा
(2) रोलेट एक्ट:
भारतीय जनता में उभरती राष्ट्रीयता की भावना के दबाने के लिए तथा राष्ट्रीय आन्दोलन पर अपना नियंत्रण रखने के लिए अंग्रेजी सरकार ने सन् 1919 को एक नया कानून बनाया , जिसे रोलेट एक्ट का नाम दिया गया । इस कानून के तहत यह व्यवस्था दी गई कि भारतीयों को बिना किसी सूचना अथवा आरोप सिद्ध हुए अथवा न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किये बिना ही जेल में बंद किया जा सकता है । यह कानून मानव अधिकार के प्रतिकूल था । सभी को यह अधिकार होता है कि उसे किस आरोप में गिरफ्तार किया जा रहा है इसकी जानकारी उसे दी जाय तथा उसे अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष रखने का अवसर दिया जाय । किन्तु इस कानून के अनुसार तो किसी को भी , कभी भी और कहीं भी बंदी बनाया जा सकता था । इसलिए इस कानून को श् काला कानून श् कहा गया और इसके विरोध में देशव्यापी आन्दोलन प्रारंभ हो गया ।
(3) मकई चौक धमतरी में गाँधी जी:
20 दिसम्बर , सन् 1920 को गाँधी जी का आगमन मकई चौक धमतरी में हुआ था । गाँधी जी के भाषण के लिए भव्य मंच तैयार किया गया था । उनके दर्शन तथा ऐतिहासिक भाषण को सुनने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा । गाँधी जी जब कार से उतरे तो उन्हें मंच तक पहुँचना कठिन हो गया । लोग उनके दर्शन के लिए व्याकुल और अधीर हो गए । – गाँधी जी ने सबका अभिवादन किया । ग्राम गुरूर के व्यापारी उमर सेठ ने तो गाँधी जी को अपने कंधों पर उठा लिया और मंच तक पहुँचाकर ही रुका । छत्तीसगढ़ के लोगों ने गाँधी जी को हृदय में स्थान दिया । जब गाँधी जी सुसज्जित मंच पर भाषण देने को आए तो महात्मा गाँधी की जय के नारे से आसमान गुँजने लगा था । उनके ओजस्वी भाषण ने छत्तीसगढ़ में आजादी का मंत्र फूँक दिया । यहाँ उपस्थित महिलाओं ने पार्टी फण्ड के लिए अपने गहने उतार कर गाँधी जी को दे दी ।
(4) जलियाँवाला बाग हत्याकांड
13 अप्रैल , सन् 1919 को रोलेट एक्ट के विरोध व राष्ट्रवादी नेता सत्यपाल और डॉ . सेफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी हुई । इस गिरफतारी के विरोध में पंजाब के अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक आमसभा आयोजित की गई। यह बाग तीन ओर से ऊंची दीवारों से घिरा था और एक मात्र छोटी गली में आने-जाने का रास्ता था।इस सभा में बच्चे, युवक, पुरुष,व महिलायें हज़ारों की संख्या में उपस्थित थे तभी जनरल डायर ने बिना किसी पूर्व सूचना के अपने सशस्त्र सैनिकों को गोली चलाने की आज्ञा दी । इस गोली काण्ड में सैकड़ों निर्दाेष लोगों की जानें गईं और हजारों की संख्या में लोग हताहत हो गए । इस निर्मम हत्याकाण्ड ने सम्पूर्ण भारत को झकझोर कर रख दिया । देश भर में इसके विरोध में सभाएँ हुईं । सभी प्रमुख राजनेताओं ने इस घृणित कृत्य की घोर निंदा की । गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने श् सर श् की उपाधि वापस कर दी । जलियाँवाला बाग के इस नरसंहार में पूरे देश में आजादी की आग को भड़का दिया ।