जामा मस्जिद क्यों प्रसिद्ध है?
दिल्ली में स्थित जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी और सबसे शानदार मस्जिदों में से एक है, जो मुगल वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह अपने ऐतिहासिक महत्व, शानदार डिज़ाइन और इस्लामी पूजा और शिक्षा के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध है।
इसे किसने बनवाया?
जामा मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहाँ ने करवाया था, वही शासक जिसने ताजमहल बनवाया था। इसका निर्माण 1650 में शुरू हुआ और 1656 में पूरा हुआ।
जामा मस्जिद के बारे में क्या खास है?
यह मस्जिद लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बनी है। इसमें तीन भव्य द्वार, चार मीनारें और 40 मीटर ऊँची दो मीनारें हैं। विशाल प्रांगण में एक बार में 25,000 से नमाजी बैठ सकते हैं।
इसमें मौजूद जटिल सुलेख कला, विशाल प्रार्थना कक्ष और कुरान की एक प्राचीन प्रति और इस्लामी अवशेषों का संग्रह बेहद खास बनाता है।
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जामा मस्जिद में कैसे प्रवेश करें?
आगंतुक जामा मस्जिद में इसके तीन द्वारों से प्रवेश कर सकते हैं उत्तरी द्वार, दक्षिणी द्वार या पूर्वी द्वार। प्रार्थना करने के लिए आने वालों के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है, लेकिन पर्यटकों से मामूली शुल्क लिया जा सकता है, खासकर अगर वे कैमरा लेकर आते हैं। प्रवेश के लिए शालीन पोशाक और जूते उतारना आवश्यक है।
भारत में कितनी जामा मस्जिदें हैं?
दिल्ली का जामा मस्जिद सबसे प्रसिद्ध है, भारत भर में इसी नाम की कई मस्जिदें हैं, जिनमें आगरा, अहमदाबाद और अन्य शहरों में स्थित मस्जिदें शामिल हैं, क्योंकि जामा मस्जिद का अनुवाद शुक्रवार मस्जिद होता है, जो सामूहिक प्रार्थना के लिए होता है।
जामा मस्जिद के अंदर क्या है?
जामा मस्जिद के अंदर आगंतुकों को गुंबदों, मेहराबों और जटिल रूप से डिज़ाइन की गई दीवारों से सुसज्जित एक विशाल प्रार्थना कक्ष मिलता है। प्रांगण विशाल और खुला है, जो पूजा के लिए एक शांत स्थान प्रदान करता है। प्रमुख अवशेषों में हिरण की खाल पर लिखी एक प्राचीन कुरान और पैगंबर मुहम्मद से संबंधित वस्तुएं शामिल हैं।