अभ्यास प्रश्न
1. उचित जोड़ियाँ बनाएँ
A | B |
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(1) कॉपरनिकस | खगोल वैज्ञानिक |
(2) कोलम्बस | यूरोप से अमेरिका तक के समुद्री मार्ग की खोज |
(3) मार्टिन लूथर | धर्म-व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचारों का विरोध |
(4)हेनरी अष्टम | पोप के वर्चस्व को मानने से इंकार |
2. प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
1. छपाई कला के अविष्कार से क्या-क्या लाभ हुए ?
उत्तरः छपाई कला के आविष्कार से पुस्तकों की संख्या बढ़ी , कीमतें घटी , इसलिए ज्ञान का प्रसार तेजी से हुआ ।
2. अरब व्यापारी क्या-क्या वस्तुएँ यूरोप के व्यापारियों को बेचते थे ?
उत्तरः अरब व्यापारी यूरोप के व्यापारियों को मूल्यवान रत्न , उत्तम कोटि के सूती तथा रेशमी वस्त्र तथा शक्कर आदि बेचा करते थे ।
3. मार्टिन लूथर के अनुयायियों को प्रोटेस्टेंट कहा जाता है।
उत्तरः मार्टिन लूथर नामक जर्मन धर्मगुरु ने धार्मिक संस्थाओं के दराचारों की निन्दा करते हुए एक खुला वक्तव्य जारी किया था जिसमें उसने जनता के लिए कहा कि- आप लोगों को धर्म गुरुओं के कथनों को ही धर्म न मानकर स्वयं बाइबिल पढ़ना चाहिए और धर्म के तत्वों को समझना चाहिए । उन्होंने ईसाई धर्म गुरू के प्रमुख पोप की निरंकुश सत्ता को चुनौती दी और धर्म व्यवस्था में प्रचलित दोषों का विरोध ( प्रोटेस्ट ) किया । इसलिए उनके अनुयायी प्रोटेस्टेंट कहलाए ।
4. यूरोपीय व्यापारियों ने व्यापारिक कंपनियों की स्थापना क्यों ?
उत्तरः व्यापारियों को विदेशी व्यापार से अपार लाभ तो थे ही पर जोखिम भी कम नहीं थे। इन कठिनाठयों से बचने के लिए व्यापरी कारीगरों को काम देने, तैयार माल इकट्ठा करने माल का भंडारण करने जेसे अनेक कामों को सामूहिक रूप से करने में मदद देने लगे। इस प्रकार व्यापारिक कंपनियों की स्थापना आरंभ हुई ।
5. मध्यम वर्ग आधुनिक सामाजिक व्यवस्था की रीढ़ बन गया। क्यों ?
उत्तरः व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के फलस्वरूप समाज में कई नये वर्गों का जन्म हुआ , जिनमें बैंकर , दलाल , लिपिक आदि प्रमुख थे । इन्हें ही मध्यम वर्ग कहा जाता था । कुशल कारीगर और निर्माता भी इसी वर्ग में आते थे । यह वर्ग रूढ़ियों से दूर और नवीन परिर्वतनों पर आस्था रखता था । मध्यम वर्ग की सामाजिक व आर्थिक महत्व के कारण वे सामाजिक व्यवस्था की रीढ़ बन गए ।
6. पुनर्जागरण का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः पुनर्जागरण का शाब्दिक अर्थ वैचारिक क्रांति से है । यूरोप में पुनर्जागरण 19 वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ । इस काल में प्राचीन ग्रंथों का स्थानीय भाषाओं में नये ढंग से अनुवाद प्रांरभ हुआ । छपाई मशीनों के आविष्कार ने इस क्रांति को अपने शिखर पर पहुंचा दिया । अत्यधिक मात्रा में पुस्तकें छपने लगी और दाम भी सस्ते हो गए , फलस्वरूप ज्ञान का प्रसार तेजी से । ज्ञान और नवीन विचारों के अध्ययन ने जनमानस को नई दृष्टि प्रदान किया । साहित्य , चित्रकला , विज्ञान आदि सभी विधाओं को इस दृष्टिकोण ने प्रभावित किया । अब कलाकार अपनी कलाकृतियों में देवताओं और देवदूतों के स्थान पर मनुष्य की भावों व प्राकृतिक सौन्दर्य का चित्रण करने लगे थे ।
7. औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज में कौन-कौनसे तीन वर्ग प्रमुखता से अस्तित्व में आए? इनकी स्थिति पर संक्षिप्त में प्रकाश डालिए ।
उत्तरः 1. पूँजीपति वर्ग उत्पादन में इनका अधिकार था। इनका मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ कमाना था । वस्तुओं की ब्रिकी पर भी इन्हीं का नियंत्रण था ।
2. मध्यम वर्ग – व्यवसायों में वृद्धि के फलस्वरूप समाज में बैंकर , दलाल , लिपिक हिसाब रखने वाले जैसे व्यावसायिका का एक नया वर्ग अस्तित्व में आया । जिसे मध्यम वर्ग कहा जाता है । कुशल कारीगर और निर्माता भी इस समुदाय से जुड़ते गए । यह वर्ग साड़ियों और परम्पराओं के बंधन में जकड़ा हुआ नहीं था ।
3.श्रमिक वर्ग – यह वर्ग समाज का सबसे निम्न स्तर के लोगों का था । इनकी आर्थिक स्थिति अति शोचनीय थी । श्रमिक , खेतिहर मजदूर आदि इस वर्ग में आते हैं ।
8. सामंतवाद का पतन किस तरह हुआ ?
उत्तरः व्यापार में आए तेजी का यूरोप की राजनीति में भी गहरा प्रभाव पड़ा। व्यापारियों ने अपने हितों की सुरक्षा के लिए सरकार का समर्थन किया , वहीं सरकार ने भी व्यापारियों को आगे बढ़ाने के लिए तथा उनकी जान माल की सुरक्षा के लिए समुचित उपाय किया । इससे देश में व्यापारियों का सम्मान और महत्त्व बढ़ने लगा । व्यापारियों की लगातार बढ़ती प्रतिष्ठा के साथ ही सामन्तवाद का पतन शुरू हुआ और अंत में एक नई व्यवस्था ने जन्म लिया , जिसे पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के नाम से जाना जाता है ।
9. व्यापार में वृद्धि का यूरोप पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तरः व्यापारिक उन्नति का यूरोप के आर्थिक , सामाजिक और राजनैतिक जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा । यूरोप विश्व का सबसे बड़ा व्यापारिक शक्ति के रूप में उभरा और उसकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो गई । समाज में पूँजीपति, मध्यम और श्रमिक तीन वर्ग बन गए और वर्ग संघर्ष बढ़ गया । व्यापारियों का राजनीतिक महत्व बढ़ गया फलस्वरूप सामंतवाद का पतन हो गया । श्रमिकों की स्थिति में भी बदलाव आया । अब लोग वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने लगे तथा धीरे – धीरे समाज रूढ़िवादिता व अंधविश्वासों से ऊपर उठने लगे ।