अभ्यास के प्रश्न
1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. सन् 1000 ई. के लगभग मध्य छत्तीसगढ़ में कल्चुरी वंश (हैह्यवंश) वंश का राज्य था ।
2.परमार वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक भोज था।
3. अलबरूनी ने अरबी भाषा में तहकीक ए हिन्द नामक किताब लिखी।
4. चोल वंश दक्षिण भारत का सबसे शक्तिशाली राजवंश था।
5. प्रसिद्ध राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण राजा चोल ने कराया था।
2. निम्नलिखित में सही एवं गलत वाक्य बताइए-
1. हर्ष की मृत्यु के बाद भारत कई छोटे-छोटे राज्यों में बँट गया। सही
2. धर्म-ज्ञान और राजकाज चलाने के ज्ञाता के रूप में ब्राह्मणों की बड़ी प्रतिष्ठा थी। सही
3. महमूद गजनवी पूरे उत्तर भारत पर शासन करता था। गलत
4 चोल राजाओं ने कन्नौज पर भी अधिकार कर लिया था। गलत
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
1. अलबरूनी भारत क्यों आया था ?
उत्तरः अलबरूनी गणित , खगोल शास्त्र और अलग अलग धर्माे का महराई से अध्ययन करने के लिए भारत आया था ।
2 चोल राजाओं ने समुद्र पारकर किन-किन देशों पर चढ़ाई की थी ?
उत्तरः चोल राजाओं ने समुद्र पार कर श्रीलंका, इंडोनेशिया , मलेशिया और
मालदीव पर चढ़ाई की थी। श्रीलंका का एक बड़ा हिस्सा लम्बे समय तक चोल
राज्य का हिस्सा बना रहा ।
3. कन्नौज पर अधिकार को लेकर किन-किन राजवंशों के बीच लंबे समय तक युद्ध हुआ ?
उत्तरः कनौज पर अधिकार को लेकर प्रतिहारवंश , पालवंश और राष्ट्रकूट वंश के बीच लगभग 200 वर्षों तक युद्ध चलता रहा , इसी कारण तीनों राज्यों की शक्ति भी नष्ट हो गई ।
4 राजवंश ब्राह्मणों को अपने राज्य में बसाने के लिए दान में क्या देते थे ?
उत्तरः राजवंश ब्राह्मणों को अपने राज्य में बसाने के लिए पूरा गांव या गांव से प्राप्त होने वाला पूरा लगान राज्य में बसाने के लिए दान में क्या देते थे
5. अपने राजवंश को ऊँचा और महान बताने के लिए ताकतवर राजवंशों ने क्या किया?
उत्तरः अपने राजवंश को ऊँचा और महान बताने के लिए ताकतवर राजवंशों ने देवताओं और ऋषियों से अपने वंष का संबंध जोड़ा । बंगाल का पाल वंष मध्य भारत में कल्चुरियों का उत्थान इसी प्रकार हुआ ।
6.तहकीक-ए-हिंद नामक किताब में किन-किन चीजों का वर्णन मिलता है ?
उत्तरः अल्बरूनी ने यह किताब 1030 ई. में लिखी थी। इसमें उसने भारत के लोगों , उनके धर्म , रीति – रिवाज , विज्ञान , गणित और खगोल
शास्त्र आदि के बारे में विस्तार से लिखा है ।
7. भाट कौन थे और उनकी क्या भूमिका थी ?
उत्तरः भाट दरबारी कवि होते थे , जो स्थानीय भाषा में राजा व उसके पूर्वजों की प्रशंसा में गीत गाकर राजा एवं उसके वंश के प्रति लोगों के मन में
श्रद्धा व गर्व के भाव जगाते थे । भाटों ने भी राजवंशों को प्रतिष्ठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी । इस युग में समूचे उत्तर भारत में भाट
परम्परा
दिखाई देती है । छत्तीसगढ़ में चारण कवि की परम्परा थी ।
8 महमूद गजनवी और चोल राजाओं के सैनिक अभियानों में अन्तर बताइए ?
उत्तरः महमूद गजनवी विदेशी आक्रमणकारी था , उसने परत में सन् 997 से 1010 तक बार – बार आक्रमण किया । महमूद गजनवी के सैनिक
अभियानों का उद्देश्य राज्यों को जीत कर उसे लूटना था । जबकि चोलराजाओं के सैनिक अभियानों का उद्देश्य धन इकट्ठा करने के साथ अपने
साम्राज्य का विस्तार करना भी था । उन्होंने अपने समुद्री बेड़ों की मदद से समुद्र पारकर श्रीलंका , इंडोनेशिया , मलेशिया और मालदीव पर भी
चढ़ाई की । श्रीलंका का एक बड़ा हिस्सा लम्बे समय तक चोल राज्य का हिस्सा बना रहा । सैनिक अभियानों से मिले धन से चोल राजाओं ने कई
भव्य मंदिर बनवाएँ ।
अतिरिक्त प्रश्न :- Extra Questions
प्रश्न 1. राजवंशों की स्थापना में ब्राम्हणों ने क्या योगदान किया ?
उत्तर – ताकतवर परिवारों को राजवंश के रूप में स्थापित करने और राज्य की व्यवस्था बनाने में ब्राम्हणों ने बड़ी सहायता की । उन दिनों धर्म ,
ज्ञान और राजकाज चलाने के ज्ञाता के रूप में उनकी बड़ी प्रतिष्ठा थी । ब्राम्हण राजाओं की वंशावली बनाते थे । जिनमें उन्हें चंद्र , सूर्य या किसी
महान् ऋषि का वंशज बताया जाता । साथ ही समाज में राजा की श्रेष्ठता स्थापित करने के लिए ब्राम्हण उनसे राजसूय , अश्वमेघ जैसे यज्ञ करवाते
थे । इसलिए उत्तर और दक्षिण दोनों ही क्षेत्रों के राजाओं ने गंगा यमुना तट पर बसे ब्राम्हणों को अपने राज्य में बसाया ।
प्रश्न 2. कल्चुरी वंश का संक्षिप्त परिचय दीजिए ?
उत्तर – कल्चुरी वंश के राजा अपने आपको ‘ राजपूत श् कहते थे । इनके अतिरिक्त इस काल में भारत के दूसरे इलाकों में भी विशेषकर उत्तर
, उत्तर पश्चिम व मध्य भारत में कई राजपूत राजवंश प्रभावी हुए । इनमें से कुछ प्रमुख थे दृ चौहान , तोमर , परमार , गुर्जर , प्रतिहार आदि
। इन राजवंशों की विशेषता यह थी कि प्रत्येक वंश की कई शाखाएँ अलग – अलग जगहों पर राज्य करती थीं ।
प्रश्न 3. भोज किस वंश के थे , वे क्यों लोक प्रसिद्ध थे ?
उत्तर -भोज परमार वंश के राजाओं में सबसे प्रसद्धि था ।उसने सन् 1000 से 1030 तक शासन किया । अपनी शक्तिशाली सेना के कारण ही वह
एक विशाल साम्राज्य की स्थापना करने में सफल हुआ था । भोज एक पराक्रमी राजा होने के साथ – साथ विज्ञान , साहित्य और वास्तुकला में
गहरी रुचि रखता था ।
प्रश्न 4. चोल राजाओं की कर व्यवस्था व ग्राम व्यवस्था का परिचय दीजिए ?
उत्तर- अपनी सेना जुटाने और शासन की अन्य खर्चों के लिए चोल शासक प्रजा पर विभिन्न प्रकार के कर लगाते थे । भूमि पर लगने वाला कर
इनमें सबसे महत्वपूर्ण था । यह कर उत्पादन के एक तिहाई हिस्से तक होता था । इसके अलावा व्यापार पर लगने वाला कर भी काफी महत्वपूर्ण
था । इसके साथ ही बड़े निर्माण कार्य जैसे – तालाब , नहर आदि को बनाते समय गाँव वालों से बेगार की भी माँग की जाती थी । ग्राम व्यवस्था
एवं स्थानीय स्वशासन का विकास इसी युग में हुआ था ।
प्रश्न 5. राजराज प्रथम का राज्य विस्तार कहाँ तक था ? उसे महान क्यों कहा जाता है ?
उत्तर – चोल शासक राजराज प्रथम ( 1985 ई . 1016 ई . ) ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की । सिंहासन पर बैठने के सात वर्ष बाद
उसने विजय यात्रा प्रारंभ की तथा दक्षिण भारत पर विजय पताका फहरा दी । इन्होंने लंका , पश्चिमी समुद्र तट , पूर्वी चालुक्य राज्य , कलिंग को
जीता । उसके राज्य का विस्तार श्रीलंका , लक्षद्वीप और मालद्वीप तक था । उसने शक्तिशाली नौसेना ( जहाजी बेड़ा ) का गठन किया । इससे
उसके व्यापार को बढ़ावा मिला और चोल राज्य शक्तिशाली तथा समृद्धिशाली बना । इसलिए उसे । महान् कहा जाता है ।
योग्यता विस्तार:
प्रश्न 5.सन् 800 से 1000 तक उत्तर, पूर्वी और मध्यभारत के प्रमुख राजवंशों के राजाओं की सूची अपनी कॉपी में बनाइए ।
उत्तर –
>उत्तर भारत:
प्रतिहार राजवंश:
नागभट्ट II (सी. 805-833)
भोज प्रथम (सी. 836-885)
महेंद्रपाल प्रथम (सी. 885-908)
महिपाल प्रथम (सी. 908-940)
देवपाल (सी। 940-976)
मिहिर भोज (सी. 976-997)
राष्ट्रकूट राजवंश:
गोविंदा III (सी। 797-814)
अमोघवर्ष प्रथम (सी. 814-878)
कृष्ण द्वितीय (सी। 878-914)
इंद्र III (सी। 914-928)
गोविंदा चतुर्थ (सी। 928-930)
अमोघवर्ष II (सी. 930-957)
कृष्ण तृतीय (सी. 957-972)
खोटिगा अमोघवर्ष (सी. 972-982)
करका II (सी. 982-999)
पूर्वी भारत:
पाल राजवंश:
धर्मपाल (सी। 770-810)
देवपाल (सी। 810-850)
विग्रहपाल I (सी। 850-854)
नारायणपाल (सी। 854-908)
राज्यपाल (सी। 908-940)
गोपाल III (सी। 940-967)
विग्रहपाल II (सी। 967-977)
महिपाल द्वितीय (सी। 977-1027)
सेना राजवंश:
सामंत सेना (सी। 1070-1095)
हेमंत सेना (सी। 1095-1119)
विजय सेना (सी. 1119-1159)
बल्लाला सेना (सी. 1159-1179)
मध्य भारत:
गुर्जर-प्रतिहार राजवंश:
नागभट्ट प्रथम (सी. 730-760)
वत्सराज (सी. 760-780)
नागभट्ट II (सी. 780-833)
रामभद्र (सी। 833-836)
मिहिर भोज (सी. 836-885)
महिपाल प्रथम (सी. 885-908)
भोज II (सी। 908-910)
महिपाल द्वितीय (सी। 910-914)
महेंद्रपाल द्वितीय (सी। 914-944)
देवपाल (सी। 944-950)
विनायकपाल (सी. 950-959)
राज्यपाल (सी। 959-964)
त्रिलोचनपाल (सी. 964-969)
जयपाल (सी. 969-1002)