छत्तीसगढ़ अध्ययन
केवल नाम लिखिए-
अभ्यास प्रश्न
1.अ. सबसे अधिक वर्षों तक शासन करनेवाला राजवंश
उत्तरः कल्चुरिवंश, हैहयवंश
ब. सोनार के जमींदार
उत्तरः वीरनायरायण सिंह।
स. सबसे प्राचीन नाट्यशाला छत्तीसगढ़ में कहाँ है ?
उत्तरः सरगुजा जिले में
द. रायपुर फौजी छावनी में किसके नेतृत्व में कांति हुई ?
उत्तरः हनुमान सिंह राजपूत के नेतृत्व में
इ. किस अधिकारी ने वर्दी त्यागकर राष्ट्रीय आंदोलन में समर्पित भाव से कार्य किया ?
उत्तरः पं. लखन लाल मिश्र।
सुमेलित कीजिए-
A | B |
---|---|
अ. भोंसला शासक | बिम्बाजी |
ब. क्रांतिकारी | हनुमान सिंह |
स साहित्यकार | पं. गोपाल मिश्र |
गुरू घासीदासद | समाज सुधारक |
प्रश्नों के उर दीजिए-
अ. इस क्षेत्र छत्तीसगढ़ क्यों कहते हैं?
उत्तरः प्राचीन काल के दक्षिण कोसल, महाकान्तार, दण्डकारण्य, महाकोसल, मेकल आदि नाम के क्षेत्र इसमें मिले हुए हैं। गढ़ों के आधार पर कल्चुरि काल के राजाओं के समय इसका नाम छत्तीसगढ़ पड़ा । रतनपुर राज्य में 18 गढ़ तथा रायपुर राज्य में 18 गढ़ थे। महानदी तथा शिवनाथ नदी प्रायः इसकी सीमा रेखा थी।
ब. छत्तीसगढ़ में राजनैतिक विकास किस प्रकार हुआ ?
उत्तरः आरंभ से ही छत्तीसगढ़ राज्य शांति प्रिय रहा है। इस क्षेत्र में ज्यादा राजनीतिक बदलाव देखने को नहीं मिलता। छत्तीसगढ़ में कल्चुरि या हैहयवंषी राजाओं ने लगभग दसवीं सदी के अंत से अठारहवीं सदी के मध्य तक राज किया बाद में यहाँ 1741 ई में मराठाों का प्रभाव बढ़ा नागपुर के भोंसले परिवार के राजकुमार बिंबाजी भोंसले ने रतनपुर से छत्तीसगढ़ का प्रशासन चलाया । बाद में सूबेदारी शासन हुआ। फिर अंग्रेजों के द्वारा हस्तक्षेप किया गया । तदन्तर राजा रघु जी तृतीय की मृत्यु के यहाँ अंग्रेजी राज शुरू हो गया । अंग्रेजों का शासन छत्तीसगढ़ में 1854 से 1947 तक चला । यहाँ पर 14 सामंती राज्य एवं अनेक जमींदारियाँ भी थीं । आजादी की लड़ाई में हमारे राज्य के क्रांतिवीरों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 15 अगस्त, सन् 1947 की सुबह दिल्ली के लाल किले पर स्वतंत्र भारत का झण्डा फहराया गया उसी के साथ छत्तीसगढ़ के रायपुर में भी तत्कालीन खाद्यमंत्री आर. के. पाटिल ने तिरंगा फहराया। इस प्रकार छत्तीसगढ़ भी नये छत्तीसगढ़ के निर्माण की ओर आगे बढ़ा।
स. छत्तीसगढ़ के किसी एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के बारे में चित्र सहित जानकारी एक़त्र कर लिखिए तथा जानकारी के स्त्रोत भी बताइये ?
जानकारी के सा्रेत -ः पाठ्य पुस्तक और समाचार पत्र- पत्रिकाएं
उत्तरः वीर नारायण सिंह (1795 -1857) छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, एक सच्चे देशभक्त व गरीबों के मसीहा थे। वीर नारायण सिंह का जन्म सन् 1795 में सोनाखान के जमींदार रामसाय के हर हुआ था। वे बिंझवार आदिवासी समुदाय के थे, उनके पिता ने 1818-19 के दौरान अंग्रेजों तथा भोंसले राजाओं के विरुद्ध तलवार उठाई लेकिन कैप्टन मैक्सन ने विद्रोह को दबा दिया। 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के समय उन्होने जेल से भागकर अंग्रेजों से लोहा लिया था जिसमें वे गिरफ्तार कर लिए गए थे। 10दिसम्बर 1857 को उन्हें रायपुर के जय स्तम्भ चौक पर फाँसी दे दी गयी।
इसके बाद भी बिंझवार आदिवासियों के सामर्थ्य और संगठित शक्ति के कारण जमींदार रामसाय का सोनाखान क्षेत्र में दबदबा बना रहा, जिसके चलते अंग्रेजों ने उनसे संधि कर ली थी। देशभक्ति और निडरता वीर नारायण सिंह को पिता से विरासत में मिली थी। पिता की मृत्यु के बाद 1830 में वे सोनाखान के जमींदार बने।
लोगों के प्रिय नायक थे वीर नारायण
स्वभाव से परोपकारी, न्यायप्रिय तथा कर्मठ वीर नारायण जल्द ही लोगों के प्रिय जननायक बन गए। 1854 में अंग्रेजों ने नए ढंग से टकोली लागू की, इसे जनविरोधी बताते हुए वीर नारायण सिंह ने इसका भरसक विरोध किया। इससे रायपुर के तात्कालीन डिप्टी कमिश्नर इलियट उनके घोर विरोधी हो गए ।
गोदाम के ताले खोल गरीबों में अन्न बंटवा दिया था 1856 में छत्तीसगढ़ में भयानक सूखा पड़ा था, अकाल और अंग्रेजों द्वारा लागू किए कानून के कारण प्रांत वासी भुखमरी का शिकार हो रहे थे। कसडोल के व्यापारी माखन का गोदाम अन्न से भरा था। वीर नारायण ने उससे अनाज गरीबों में बांटने का आग्रह किया लेकिन वह तैयार नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने माखन के गोदाम के ताले तुड़वा दिए और अनाज निकाल ग्रामीणों में बंटवा दिया। उनके इस कदम से नाराज ब्रिटिश शासन ने उन्हें 24 अक्टूबर 1856 में संबलपुर से गिरफ्तार कर रायपुर जेल में बंद कर दिया। 1857 में जब स्वतंत्रता की लड़ाई तेज हुई तो प्रांत के लोगों ने जेल में बंद वीर नारायण को ही अपना नेता मान लिया और समर में शामिल हो गए। उन्होंने अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ बगावत करने की ठान ली थी।
लोगों को अत्याचार से बचाने किया समर्पण
अगस्त 1857 में कुछ सैनिकों और समर्थकों की मदद से वीर नारायण जेल से भाग निकले और अपने गांव सोनाखान पहुंच गए। वहां उन्होंने 500 बंदूकधारियों की सेना बनाई और अंग्रेजी सैनिकों से मुठभेड़ की। इस बगावत से बौखलाई अंग्रेज सरकार ने जनता पर अत्याचार बढ़ा दिए। अपने लोगों को बचाने के लिए उन्होंने समर्पण कर दिया जिसके बाद उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। 10 दिसंबर 1857 को ब्रिटिष सरकार ने उन्हें फांसी दे दी ।शहीद वीर नारायण सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी 130वीं बरसी पर 1987 में भारत सरकार ने 60 पैसे का स्टाम्प जारी किया, जिसमें वीर नारायण सिंह को तोप के आगे बंधा दिखाया गया।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इनके सम्मान में वीर नारायण सिंह सम्मान आदिमजाति कल्याण विभाग द्वारा दिया जाता जिसकी स्थापना 2001 में किया गया है ।
इनके नाम पर है देश का तीसरा सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडिम
रायपुर क्रिकेट संघ ने शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण 2008 में करवाया
प्रश्न 1. छत्तीसगढ़ का प्रयाग किसे कहा जाता है ?
उत्तर-राजिम।
प्रश्न 2. आदिमानव सभ्यता के प्रारंभिक प्रमाण किस जिले में मिलते हैं?
उत्तर-रायगढ़।
प्रश्न 3. मेघदूत की रचना किसने की थी ?
उत्तर-महाकवि कालिदास।
प्रश्न 4. छत्तीसगढ़ में उपलब्ध आदिमानव सभ्यता के प्रमाणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-छत्तीसगढ़ में आदिमानव के प्रारंभिक प्रमाण हमें रायगढ़ के पास सिंघनपुर, काबरा पहाड़, दुर्ग क्षेत्र का चित्तवा डोंगरी में मिले शैलचित्र, बालोद धमतरी मार्ग पर सोरर, मुज गहन, करकाभाट के अतिरिक्त बसना सराईपाली के पास बरलिया गाँव में मिले शव स्थल, पाषाण स्तंभ के रूप में मिलते हैं। पाण्डुका गाँव के पास सिरकट्टी में नदी बन्दरगाह के अवशेष है।नदी जलमार्ग द्वारा महानदी से संबलपुर (हीराकुण्ड) तक नावों द्वारा व्यापार किया जाता था।
प्रश्न 5. छत्तीसगढ़ के धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-छत्तीसगढ़ राज्य धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक सम्पन्न रहा है। यहाँ महाभारत, रामायण व बौद्धकालीन घटनाओं से जुड़े अनेक स्थल हैं । ऐतिहासिक दृष्टि से मल्हार में प्राचीन मूर्तियों व पुरावशेष, तालागाँव का प्रसिद्ध रूद्रशिव प्रतिमा, सिरपुर में ईंट से बना-लक्ष्मण मंदिर, राजिम का राजीवलोचन मंदिर, रतनपुर, रायपुर व अम्बिकापुर का महामाया मंदिर, दन्तेवाड़ा का दंतेश्वरी मंदिर, भोरम देव का शिव मंदिर, बारासूर का गणेश मन्दिर प्रसिद्ध है। मल्हार, सिरपुर, आरंग, राजिम, रतनपुर में जैन धर्म व बौद्ध धर्म से संबंधित प्राचीन अवशेष मिले हैं। पाली, जांजगीर, खरौद, नगरी सिहावा, बस्तर, डोंगरगढ़, खैरागढ़, सारंगढ़, पत्तरोही,शिवरीनारायण, लवन, गंडई, चम्पारन, रायपुर, दुर्ग, धमतरी आदि भी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल हैं।
प्रश्न 6. छत्तीसगढ़ में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- छत्तीसगढ़ की जनता पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के ओजस्वी भाषण और दबंग व्यक्तित्व का गहरा प्रभाव पड़ा। जिस तरह नेताजी ने अंग्रेजों की नौकरी को लात मारकर भारत माता को बंधन मुक्त कराने में अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया, उसी प्रकार छत्तीसगढ़ राज्य में भी उनसे प्रेरित होकर कई देश भक्तों ने सरकारी नौकरी को ठोकर मारकर राष्ट्रीय आन्दोलन के आजीवन अंग बने रहे। इनमें बैरिस्टर छेदीलाल तथा बाजा मास्टर त्रिपुरी कांग्रेस के काफी सक्रिय सदस्य थे। रायपुर व दुर्ग के कलेक्टर रहे श्री रामकृष्ण पाटिल ने सरकारी नौकरी छोड़कर राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया। दुर्ग के पुलिस अधिकारी पं. लखनलाल मिश्र ने सरकारी वर्दी त्याग कर खादी पहन राष्ट्रीय आन्दोलन में सदा के लिए कूद पड़े।