भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना Establishment of East India Company in India

1 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1 यूरोप से भारत पहुँचने के समुद्री मार्ग की खोज वास्को डिगामा ने की थी।
2 यूरोपीय व्यापार से भारत को सोना एवं चांदी प्राप्त होता था।
3 अंग्रेजों ने मद्रास के सेंट फोर्ट जार्ज किले में अपना कारखाना स्थापित किया ।
4. फ्रांसिस मार्टिन ने पांडिचेरी नगर की स्थापना की ।
5. अंग्रेजों ने प्रारंभ में कलकत्ता को अपनी राजधानी बनाया।
उचित संबंध जोड़िए
1. पेरिस की संधि – अंग्रेज मराठा युद्ध
2. इलाहाबाद की संधि – बक्सर का युद्ध
3. बेसिन की संधि – कर्नाटक युद्ध
4. श्रीरंगपट्टनम की संधि – मैसूर युद्ध

3. सही क्रम दीजिए
अँग्रेज गर्वनरों का भारत आगमन जिस क्रम में हुआ, उसी क्रम में इन नामों को व्यवस्थित करें-
1. वेलेजली
2. कार्नवालिस
3. लार्ड हेस्टिंग्स
4. विलियम बैंटिंक
5. डलहौजी
उत्तरः (1) लार्ड वारेन हेस्टिंग्स ( 1772-85 )
(2) कार्नवालिस ( 1786-93 )
(3) लार्ड वेलेजली ( 1798-1805 )
(4) लार्ड विलयम बैंटिंग ( 1828-35 )
(5) लार्ड डलहौजी ( 1848-1856 ) ( टीप – क्लाइव 1757-60 व 1765-67 तक बंगाल के गवर्नर थे गवर्नर जनरल नहीं )
4. प्रश्नों के उत्तर दीजिए
1. भारत का प्रथम गवर्नर जनरल कौन था ?
उत्तरः भारत का प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिग्स था ।
2. हैदरअली कहाँ का शासक था ?
उत्तरः हैदरअली मैसूर का शासक था
3. अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच कौन सा युद्ध हुआ था ?
उत्तरः अंग्रेजों व फ्रांसीसियों के बीच कर्नाटक युद्ध हुआ था ।
4. बक्सर युद्ध के बाद अंग्रेजों को इलाके से भू-राजस्व वसूलने का अधिकार किसे प्राप्त हुआ था?
उत्तरः बक्सर युद्ध के बाद अंग्रेजों को बंगाल बिहार और उड़िसा इलाके से भू-राजस्व वसूलने का अधिकार किसे प्राप्त हुआ था

5. प्लासी युद्ध से अंग्रेजों को क्या लाभ हुआ ?

उत्तरः प्लासी युद्ध से अंग्रेजों को बहुत आर्थिक लाभ हुआ । अंग्रेजों ने मीरजाफर को नवाब बनाकर उससे अपार धन वसूला और व्यापारिक सुविधाएँ प्राप्त की । किन्तु मीरजाफर अंग्रेजों के हस्तक्षेप और आर्थिक शोषण को ज्यादा दिन तक झेल न सका । आखिरकार अंग्रेजों ने विश्वासघात से उसे सत्ता से बाहर कर दिया और अंग्रेजों ने उसके बदले मीर कासिम को बंगाल का नवाब बनाकर उससे उससे चटगाँव , वर्द्धमान और मिदनापुर जिलों से राजस्व वसूलने का स्थायी अधिकार प्राप्त किया साथ ही बहुत सा पैसा उन्हें प्राप्त हुआ। अंग्रेजों के अत्याचार और शोषण से परेशान होकर मीर कासिम ने बंगाल में लागू सारे कर हटा दिए और कम्पनी के कर्मचारियों को चुंगी देने के लिए बाध्य कर दिया । इससे अंग्रेजों को मिलने वाली सारी सुविधाएँ समाप्त हो गई और दोनों के बीच संघर्ष प्रारंभ हो गया । जिसे बक्सर का युद्ध कहते हैं।

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6. द्वैध शासन को समझाइए ।

उत्तरः लार्ड क्लाइव ने सन् 1765 में एक कानून लागू किया , ये इलाहाबाद की संधि से उत्पन्न हुआ। जिसे द्वैत शासन प्रणाली के नाम से जाना जाता है । इसमें यह व्यवस्था दी गई थी कि बंगाल में राजस्व वसूली करने का अधिकार कम्पनी की होगी , उसे अपनी सुरक्षा के लिए सैनिक रखने का अधिकार होगा , मगर उसका खर्च नवाब वहन करेगा । राज्य में सुशासन और व्यवस्था सम्बन्धी सारे कार्य नवाब का होगा ।
7. वेलेजली की सहायक संधि की शर्तों को बताइए ?
उत्तरः लार्ड वेलेजली जब भारत का गवर्नर जनरल बनकर आया तो उसने ब्रिटिश भारत के दूसरे अध्याय का शुभारंभ किया । इसके लिए उसने जो साम्राज्य विस्तार की नीति अपनाई भारतीय इतिहास में सहायक संधि श् के नाम से विख्यात है ।
वेलेजली की सहायक संधि की मुख्य शर्ते निम्नलिखित हैं –
उत्तरः वेलेजली की सहायक संधि की मुख्य शर्ते इस प्रकार थीं-
( 1 ) सहायक संधि स्वीकार करने वाले प्रत्येक राज्य को अपने पास अंग्रेज सेना रखनी पड़ती थी , जिसका खर्च राज्य को स्वयं उठाना पड़ता था ।
( 2 ) अपनी सेना से अंग्रेजों के अतिरिक्त सभी यूरोपीय लोगों को हटाना आवश्यक था ।
( 3 ) एक अंग्रेज रेजीडेंट ( प्रतिनिधि ) रखना आवश्यक था जिसकी सलाह से वे शासन कर सकते थे ।
( 4 ) अन्य देशों से कूटनीतिक संधि करने से पहले अंग्रेजों से अनुमति लेना जरूरी था ।
( 5 ) कम्पनी को वार्षिक कर देना पड़ता था ।



8. डलहौजी की हड़प नीति पर प्रकाश डालिए ?
उत्तरः
(1) निःसंतान राजाओं के दत्तक पुत्रों के अधिकार को न मानते हुए उनका राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिलाना ।
(2) कुशासन के आधार पर देशी राजाओं को हटाकर उनके राज्य पर अधिकार कर लेना ।
(3) युद्ध द्वारा राज्यों को अधिकार में करना । डलहौजी ने पहली नीति के अनुसार सतारा , जैतपुर , झाँसी , नागपुर , उदयपुर आदि राज्यों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया । दूसरी नीति का अनुशरण करते हुए अवध को अपने अधिकार में कर लिया । और युद्ध के द्वारा पंजाब प्रांत को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया ।
9. बैंटिक के प्रशासनिक सुधारों को लिखिए ?
उत्तर: विलियम बैंटिंग की गणना सुधारक गवर्नर जनरल के रूप में की जाती है , वह युद्ध के बदले शांति का समर्थक था । लगातार युद्धों के कारण कम्पनी की आर्थिक स्थिति शोचनीय हो गई थी । भारतीयों में प्रशासन के प्रति अत्यन्त असंतोष की भावना थी अतः उन्हें दूर करने के लिए निम्न प्रशासनिक सुधार किया गया ।
( 1 ) भारतीयों को भी अंग्रेजों के समान उच्च पदों पर नियुक्ति का प्रावधान किया ।
(2) राजस्व वसूलने के लिए उसने टोडरमल की बन्दोबस्त व्यवस्था को अपनाया और वर्षों के लिए लगान निश्चित करवाया ।
( 3 ) उन दिनों यूरोप में इंग्लैण्ड और रूस के बीच तनाव चल रहा था अंग्रेजों को डर था कि रूस अफगानिस्तान के माध्यम से भारत पर आक्रमण कर सकता है । अतः बैंटिंग ने वहाँ के अमीरों को सहायक संधि के लिए बाध्य किया और अंततः सिन्ध तथा पंजाब पर भी अधिकार कर लिया ।
10. अगर प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला जीत जाता तो क्या होता?
यदि सिराज-उद-दौला ने 23 जून, 1757 को हुई प्लासी की लड़ाई जीत ली होती, तो भारतीय उपमहाद्वीप में इतिहास का पाठ्यक्रम काफी अलग होता। यह लड़ाई बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व वाली ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं के बीच लड़ी गई थी।
यदि सिराज-उद-दौला विजयी हुआ होता, तो इसने बंगाल में प्रारंभिक ब्रिटिश औपनिवेशिक महत्वाकांक्षाओं को विफल कर दिया होता।तो ऐसे परिणाम देखने को मिल सकते थे जो इस प्रकार हैं- (इनमें से किसी एक या पूरे लिखे जा सकते हैं। )

1. बंगाल में ब्रिटिश प्रभावः
ईस्ट इंडिया कंपनी की हार ने बंगाल में एक मजबूत पैर जमाने की उनकी महत्वाकांक्षाओं को रोक देता। क्षेत्रीय विस्तार और आर्थिक शोषण के कंपनी के शुरुआती प्रयासों को कम से कम अस्थायी रूप से कम कर दिया होता ।

2. नवाब का अधिकारः
सिराज-उद-दौला की जीत से बंगाल के नवाब के रूप में उसकी स्थिति और मजबूत हो जाती । जिससे उसे शक्ति मजबूत हो जाती और संभावित रूप से पड़ोसी क्षेत्रों पर अपना प्रभाव वह बढ़ा पाता ।

3. क्षेत्रीय परिणामः
बंगाल में ईस्ट इंडिया कंपनी की हार अन्य भारतीय शासकों और नेताओं को ब्रिटिश विस्तारवाद का विरोध करने के लिए प्रोत्साहित करती। इसने भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक उपनिवेशवाद-विरोधी आंदोलन को बढ़ावा मिलता । और ब्रिटिष भारत में साम्राज्य स्थापित नहीं कर पाते ।

4. ब्रिटिश रणनीति में बदलावः
प्लासी की हार ने ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करता। हो सकता है कि ब्रिटिष अपनी सैन्य रणनीतियों को बदलती । वे स्थानीय भारतीय शक्तियों के साथ गठबंधन बनाने को मजबूर होती ।

5. विश्व इतिहास में परिवर्तनः
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार ने विश्व इतिहास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हाती। यदि सिराज-उद-दौला ने प्लासी में जीत जाता, तो इससे भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की स्थापना में देरी हो सकती थी या इसमें बदलाव हो सकता था। या कदाचित ब्रिटिष को भारत से लौटना पड़ता। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऐतिहासिक घटनाएं जटिल होती हैं, और किसी विशेष परिणाम को लेकर भविष्यवाणी करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। प्लासी की लड़ाई ब्रिटिश भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, और यदि इसका अंत अलग होता, तो आगे की घटनाएँ संभवतः एक अलग तरीके से सामने आतीं।
11. यदि यूरोपीय देशों के उपनिवेश नहीं होते तो उन देशों की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता?

उत्तरः यदि यूरोपीय देशों के उपनिवेश नहीं होते तो उन देशों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब होती । यूरोपीय देशों के लोग अपने माल का उत्पादन कर उसे अन्य देशों को बेच नहीं पाते जिससे उन्हें आर्थिक लाभ नहीं होता । क्रियाकलाप ब्रिटिश गवर्नर जनरल द्वारा किए गए विभिन्न प्रशासनिक सुधारों को उनकी तिथियों के अनुसार क्रम से लिखिए। भारत में अपने औपनिवेशिक शासन के दौरान, अंग्रेजों ने अपने नियंत्रण को मजबूत करने, कुशल शासन को बढ़ावा देने और आर्थिक शोषण को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से कई प्रशासनिक सुधार लागू किए। यहां भारत में अंग्रेजों द्वारा शुरू किए गए कुछ उल्लेखनीय प्रशासनिक सुधारों के साथ-साथ उनके कार्यान्वयन के वर्ष भी दिए गए हैं

1. 1773 का विनियमन अधिनियमरू इस अधिनियम ने भारतीय मामलों में प्रत्यक्ष ब्रिटिश संसदीय भागीदारी की शुरुआत की। इसने बंगाल के गवर्नर-जनरल के कार्यालय की स्थापना की और कानूनी मामलों की निगरानी के लिए कलकत्ता में एक सर्वाेच्च न्यायालय की स्थापना की।
2. पिट्स इंडिया एक्ट 1784 इस अधिनियम का उद्देश्य रेगुलेटिंग एक्ट से उत्पन्न होने वाले मुद्दों को सुधारना था। इसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की संरचना को पुनर्गठित किया और भारत में कंपनी के मामलों की निगरानी के लिए लंदन में नियंत्रण बोर्ड के साथ नियंत्रण की दोहरी प्रणाली स्थापित की।
3. 1833 का चार्टर अधिनियम इस अधिनियम ने कंपनी के चार्टर को नवीनीकृत किया और भारत के शासन में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए। इसने कंपनी के व्यापारिक अधिकारों को समाप्त कर दिया, उसके एकाधिकार को समाप्त कर दिया और वाणिज्यिक और प्रशासनिक कार्यों के बीच स्पष्ट अलगाव स्थापित किया। इसने सिविल सेवा नियुक्तियों के लिए खुली प्रतिस्पर्धा की अवधारणा भी पेश की।
4. 1861 का भारतीय परिषद अधिनियम इस अधिनियम ने पहले के अधिनियमों द्वारा स्थापित विधायी और कार्यकारी परिषदों का विस्तार किया। इसने परिषदों में गैर-आधिकारिक सदस्यों को शामिल करने की अनुमति दी, हालाँकि उनकी भूमिका काफी हद तक सलाहकारी ही रही।
5. 1892 का भारतीय परिषद अधिनियम इस अधिनियम ने विधान परिषदों में भारतीयों की भागीदारी को बढ़ाया। इसने अतिरिक्त गैर-आधिकारिक सदस्यों को शामिल किया, कुछ सदस्यों को चुनने के लिए मताधिकार का विस्तार किया और प्रांतीय परिषदों में भारतीयों के प्रतिनिधित्व की अनुमति दी।
6. 1909 के मॉर्ले-मिंटो सुधार इन सुधारों का उद्देश्य विधायी प्रक्रिया में भारतीय भागीदारी को बढ़ाना था। उन्होंने विधान परिषदों के आकार का विस्तार किया, मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की शुरुआत की और प्रांतीय परिषदों की शक्तियों में वृद्धि की।
7. 1919 का भारत सरकार अधिनियम इस अधिनियम ने भारतीय प्रतिनिधित्व और स्वायत्तता की बढ़ती मांगों के जवाब में महत्वपूर्ण संवैधानिक सुधार पेश किए। इसने विधान परिषदों की शक्तियों का विस्तार किया, कुछ प्रांतों में द्वैध शासन (साझा शासन) की अवधारणा पेश की और केंद्र में द्विसदनीय विधायिका की स्थापना का प्रावधान किया।
8. भारत सरकार अधिनियम 1935

यह अधिनियम भारत में स्वशासन की दिशा में एक प्रमुख कदम का प्रतिनिधित्व करता है। इसने प्रांतीय स्वायत्तता स्थापित की, निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार किया, और अलग प्रांतीय सरकारों और एक संघीय विधानसभा के साथ एक संघीय ढांचा बनाया। हालाँकि, यह अधिनियम भारत को पूर्ण स्वतंत्रता देने में असफल रहा। कई दशकों में पेश किए गए इन प्रशासनिक सुधारों का उद्देश्य भारत में शासन को आधुनिक और केंद्रीकृत करना था, साथ ही विधायी प्रक्रिया में भागीदारी के लिए कुछ भारतीय आकांक्षाओं को भी समायोजित करना था। हालाँकि, यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि ये सुधार मुख्य रूप से भारतीयों के लिए वास्तविक स्व-शासन को बढ़ावा देने के बजाय ब्रिटिश हितों की सेवा और औपनिवेशिक नियंत्रण बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किए गए थे।

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