ताजमहल के बारे में इसमें कुछ खास बातों पर चर्चा होगी। कुछ बातों को प्रश्न के रूप में दिया जा रहा है।
ताजमहल का मिस्त्री कौन थे?
कितने मजदूर काम पर लगे थे?
डिजाईन किसने तैयार किया ?
ताजमहल प्रेम और वास्तुकला का स्मारक:-
ताजमहल के निर्माण के बाद मुगल सम्राट शाहजहा एक दूसरा ताजमहल (Taj Mahal) बनाना चाहता था जो काले रंग का होता । मगर समय के प्रवाह ने उसे ऐसा करने से रोक दिया और शाहजहां नहीं बना सका दूसरा ताज, जो यमुना नदी के दूसरे कोने पर होता ।
भारत के आगरा में स्थित ताजमहल प्रेम का एक अद्भुत प्रतीक है और दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित स्थलों में से एक है। एतिहासिक साक्ष्य तो नहीं है मगर ऐसा कहा जाता है कि अपनी प्यारी पत्नी, मुमताज महल की याद में मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नि की याद में बनाया था।
ताजमहल (Taj Mahal)के बारे में जानकारी इनके द्वारा लिखी किताबों में मिलती है।
1 अमानत खान शिराज़ी
ताजमहल के सुलेखक थे जिन्होंने इसे 1648 ईस्वी में बनवाया और पूरा किया. उनका नाम ताज के एक द्वार पर एक शिलालेख के अंत में आता है.
2 अब्दुल हमीद लाहौरी
उन्होंने अपनी किताब पादशाहनामा में ताजमहल को रौज़ा-ए-मुन्नवरह कहा है, जिसका अर्थ है प्रकाशित या शानदार मकबरा.
3 पुरुषोत्तम नागेश ओक
इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक ने अपनी किताब में लिखा है कि ताजमहल को पहले तेजो महल कहते थे. उन्होंने यह भी लिखा है कि ताजमहल के हिन्दू मंदिर होने के कई सबूत मौजूद हैं
ताजमहल (Taj Mahal)का निर्माण
ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1648 में पूरा हुआ, जबकि आसपास की संरचनाओं और उद्यानों को बनाने में कई और साल लगे। कुल मिलाकर, स्मारक को पूरा होने में लगभग 22 साल लगे। इस भव्य परियोजना में मुगल साम्राज्य और 20,000 मजदूर और कारीगर शामिल थे।
ज्यादातर मज़दूर उत्तर प्रदेश के कन्नौज से आए थे। इसके अलावा फ़ारस और तुर्की के मज़दूरों को भी बुलाया गया था। ताजमहल बनाने के लिए पूरे मुगल साम्राज्य, मध्य एशिया, और ईरान से राजमिस्त्री, पत्थर काटने वाले, बढ़ई, चित्रकार, गुंबद बनाने वाले, और दूसरे कारीगरों को बुलाया गया था ।
तुर्की के कारीगर इस्माइल खान को ताज का गुंबद बनाने की ज़िम्मेदारी मिली थी।
लाहौर के कासिम खान ने कलश बनाने की ज़िम्मेदारी संभाली।
मनोहर लाल मन्नू को पच्चीकारी का काम सौंपा गया था
जब शाहजहां ने ताजमहल बनवाया था तो पहले आधिकारिक रुप से इस जमीन को खरीदा था। इस जमीन के मालिक राजा जय सिंह थे और इसके कागज आज भी मौजूद है। कहा जाता है कि मुगल कागज रखने में माहिर थे
ताजमहल कितने में बना आज उसकी कीमत क्या होगी?:
उस समय निर्माण की लागत लगभग 5 मिलियन आंकी गई थी, जो आज लगभग 35 करोड़ (77.8 मिलियन) के बराबर है। वर्तमान विनिमय दर का उपयोग करते हुए, यह राशि लगभग 583 करोड़ है।
ताज महल में चार दरवाजे
ताज महल में चार दरवाजे होते हैं, जिन्हें चारदीवारी के नाम से भी जाना जाता है। इन चार दरवाजों के नाम हैं- मुंबई दरवाजा, दिल्ली दरवाजा, जयपुर दरवाजा और सूरजपोल दरवाजा। ताज महल में 22 खिड़कियां होती हैं, जो मुख्य इमारत के चारों ओर होती हैं।
शाहजहां के ताजमहल को बनाने वाले मिस्त्री का नाम क्या था?
क्या आपको पता है कि इसे किस मिस्त्री द्वारा बनाया गया था? शाहजहां उस्ताद अहमद लाहौरी के काम से बेहद खुश थे।
एक प्रचलित मिथक है कि शाहजहाँ ने उस्ताद अहमद लाहौरी के हाथ काटने का आदेश दिया था या यहाँ तक कि उसे मरवा भी दिया था ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी अन्य इमारत ताजमहल (Taj Mahal) की बराबरी न कर सके। हालाँकि, इतिहासकार इस कहानी को एक किंवदंती के रूप में खारिज करते हैं। साक्ष्य बताते हैं कि ताजमहल के पूरा होने के बाद उस्ताद अहमद लाहौरी ने शाहजहाँ के संरक्षण में अन्य वास्तुशिल्प परियोजनाओं पर काम करना जारी रखा।
उस्ताद अहमद लाहौरी का काम शाहजहां को इतना पसंद आया कि उन्होंने उन्हें नादिर-उल-असर की उपाधि देकर सम्मानित किया । वे वर्तमान पाकिस्तान के रहने वाले थे।
सामग्री और तकनीकों का एक अनूठा मिश्रण
ताजमहल (Taj Mahal) के निर्माण में राजस्थान के मकराना संगमरमर का प्रयोग हुआ है। अपने शुद्ध सफेद रंग और स्थायित्व के लिए जाना जाने वाला यह संगमरमर मकबरे की नींव बना। संगमरमर के अलावा, संरचना को सजाने के लिए भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर मंगवाए गए थे । इन्हें जानिए ये थे –
– जैस्पर पंजाब से।
– जेड और क्रिस्टल चीन से।
– फ़िरोज़ा तिब्बत से।
– लैपिस लाजुली अफ़गानिस्तान से।
– श्रीलंका से नीलम। अरब से कार्नेलियन।
निर्माण में पिएट्रा ड्यूरा तकनीक का उपयोग करके, इन पत्थरों को संगमरमर में सावधानीपूर्वक जड़ा गया था ताकि आश्चर्यजनक पुष्प पैटर्न और जटिल डिजाइन बनाए जा सकें । इसमें यही खास बात है जो आज भी आगंतुकों को हैरत में डलता हैं ।
प्रेरणा और दृष्टि:-
ताजमहल (Taj Mahal) को मुमताज महल के मकबरे के रूप में बनाया गया था, जिनकी 1631 में प्रसव के दौरान दुखद मृत्यु हो गई थी। दुःख से अभिभूत शाहजहाँ ने एक ऐसे सुंदर स्मारक की कल्पना की जो उनकी याद और उनके प्यार को अमर कर दे।
इस उत्कृष्ट कृति के डिजाइन और निष्पादन का नेतृत्व मुगल मूल के फारसी वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी ने किया था, साथ ही कुशल इंजीनियरों, कारीगरों और सुलेखकों की एक टीम ने भी काम किया था।
विरासत और मान्यता
ताजमहल (Taj Mahal) एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो दुनिया भर से लाखों आगंतुकों को आकर्षित करता है। इसकी आश्चर्यजनक समरूपता, जटिल कलात्मकता और ऐतिहासिक महत्व इसे दुनिया के सबसे प्रशंसित स्मारकों में से एक बनाते हैं। शाहजहाँ के इतिहासकार मुहम्मद सालेह कम्बोह की पुस्तक अमल-ए-सालेह या शाहजहाँ नामा इसके निर्माण का विस्तृत विवरण प्रदान करती है, जो ताजमहल के पीछे के श्रम और दृष्टि के बारे में अमूल्य जानकारी प्रदान करती है।
हमेशा के लिए एक स्मारक ताजमहल (Taj Mahal)सिर्फ़ एक मकबरा नहीं है, बल्कि यह मुगल कला की ऊंचाइयों और मानवीय भावनाओं की गहराई का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी संगमरमर की दीवारें न केवल इसके रचनाकारों के कौशल को दर्शाती हैं, बल्कि शाहजहाँ और मुमताज महल के बीच के शाश्वत बंधन को भी दर्शाती हैं। आज, यह प्रेम, सौंदर्य और स्थापत्य कला के प्रतीक के रूप में लाखों लोगों को प्रेरित करता है।